E-Cabinet: भोपाल। उत्तराखंड के बाद अब मध्य प्रदेश में भी ई-कैबिनेट बैठकें शुरू करने का निर्णय लिया गया है। यह पहल पूरी तरह से पेपरलेस होगी और डिजिटल माध्यम से संचालित की जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) ने विशेष पोर्टल तैयार किया है।
ई-कैबिनेट के लिए प्रशिक्षण और तैयारियां
- अधिकारियों का प्रशिक्षण:
दिसंबर में विभिन्न विभागों के उप सचिव, अवर सचिव, अनुभाग अधिकारियों, और कर्मचारियों को इसकी कार्यप्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया। - मंत्रिपरिषद के सदस्यों का प्रशिक्षण:
मंत्रियों के निजी स्टाफ, निज सचिव, और सहायक को भी ई-कैबिनेट के उपयोग का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। - डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे:
सभी मंत्रियों को टेबलेट दिए जाएंगे, ताकि वे कहीं से भी वर्चुअली जुड़ सकें।
कैसे काम करेगी ई-कैबिनेट?
- ऑनलाइन प्रस्ताव:
मंत्रियों को सभी प्रस्ताव और प्रशासनिक अनुमोदन ऑनलाइन भेजे जाएंगे। - शुरुआती चरण:
प्रारंभ में दस्तावेज भौतिक रूप में भी उपलब्ध रहेंगे, जिन्हें धीरे-धीरे समाप्त कर दिया जाएगा। - वर्चुअल भागीदारी:
मंत्रियों की अनुपस्थिति में, वे कहीं से भी बैठक में वर्चुअल रूप से शामिल हो सकेंगे।
ई-फाइलिंग का बढ़ता दायरा
- वित्त और सहकारिता विभाग सहित कई विभाग पहले ही ई-फाइलिंग प्रक्रिया अपना चुके हैं।
- मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अब ई-फाइलिंग पर काम हो रहा है।
ई-कैबिनेट के लाभ
- पेपरलेस और पर्यावरण हितैषी पहल:
पूरी प्रक्रिया डिजिटल होने से कागज की खपत कम होगी। - समय और संसाधनों की बचत:
फाइलों के डिजिटल प्रबंधन से समय और लागत दोनों में कमी आएगी। - लचीलापन और कार्यकुशलता:
मंत्रियों को कहीं से भी बैठक में शामिल होने की सुविधा होगी, जिससे निर्णय प्रक्रिया तेज होगी।
नवाचार में अग्रणी कदम
उत्तराखंड में चार वर्ष पहले शुरू हुई इस पहल को मध्य प्रदेश में लागू कर सरकार ने प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। ई-कैबिनेट व्यवस्था से शासन और प्रशासन को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और तेज बनाने में मदद मिलेगी।
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