Attendance: भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार मंत्रालय में कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति और कार्यस्थल पर अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए आधार-आधारित फेस अटेंडेंस प्रणाली शुरू करने जा रही है। नई प्रणाली के तहत कर्मचारियों को कार्यालय में प्रवेश और निकास के समय चेहरे और आंखों का रेटिना स्कैन कराना अनिवार्य होगा। यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करती है, जो उम्र के साथ चेहरे में आने वाले बदलावों को भी पहचान सकती है।
प्रमुख विशेषताएं:
- नई प्रणाली की शुरुआत:
- आधार बेस्ड फेस अटेंडेंस सिस्टम फरवरी 2025 से लागू होने की संभावना है।
- सभी 1700 कर्मचारियों को 24 जनवरी तक अपने आधार आधारित फेस अटेंडेंस आईडी का पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
- यह प्रणाली मंत्रालय के साथ-साथ अन्य सरकारी कार्यालयों में भी लागू की जाएगी।
- कैसे काम करेगी प्रणाली:
- कर्मचारी का चेहरा स्कैनर की मदद से स्कैन किया जाएगा।
- स्कैन डेटा को आधार डेटाबेस में उपलब्ध जानकारी से मिलान किया जाएगा।
- कर्मचारियों को प्रवेश और निकास के समय चेहरा और रेटिना स्कैन कराना होगा।
- ई-मिशन टीम और नोडल अधिकारी:
- नई प्रणाली लागू करने के लिए ई-मिशन टीम गठित की गई है।
- सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने इसके लिए तीन नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।
- समस्या समाधान:
- वर्तमान में मैन्युअल अटेंडेंस और खराब पड़ी थंब मशीनों की वजह से उपस्थिति की सटीकता में दिक्कतें आती थीं।
- नई प्रणाली से कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति का सटीक डेटा प्राप्त होगा।
पुरानी समस्याएं और नई व्यवस्था का महत्व:
- पुरानी व्यवस्था:
- कर्मचारियों को अटेंडेंस रजिस्टर में हस्ताक्षर करना होता था।
- कई कर्मचारी समय पर हस्ताक्षर करके काम से गायब हो जाते थे।
- रिपोर्टिंग की सख्ती घटने के बाद लेटलतीफी बढ़ गई थी।
- नई व्यवस्था के लाभ:
- वास्तविक उपस्थिति पर नजर रखी जा सकेगी।
- सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर यह नियम समान रूप से लागू होगा।
- मंत्रालय में डिजिटल कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।
- सुरक्षा और कार्यकुशलता में सुधार होगा।
भविष्य की योजनाएं:
- मंत्रालय के बाद यह प्रणाली अन्य सरकारी विभागों में लागू की जाएगी।
- ई-फाइल सिस्टम के साथ इसे समन्वित करके पूरी कार्यप्रणाली को डिजिटल किया जाएगा।
यह कदम कर्मचारियों की लेटलतीफी पर अंकुश लगाने और मंत्रालय की दक्षता बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, यह तकनीकी उन्नति की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है।
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