महर्षि दंयानंद की 200 वी जंयती पर 51 कुन्डीय वैदिक यज्ञ
चिचोली:बुधवार को नगर के श्री तपश्री स्टेडियम मे श्रद्धानंद आर्य समाज के द्वारा महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वी जयंती के अवसर पर 51 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। इस वैदिक महायज्ञ मे यज्ञ की वेदी पर 2 सौ दम्पतीयो ने बैठकर आर्य विदृवान आचार्य योगेंद्र याज्ञिक के द्वारा वैदिक रीति से मंत्रोउच्चार् के माध्यम से यज्ञ मे आहुति प्रदान करवाई गई ।

आयोजित वैदिक यज्ञ के दौरान महर्षि दंयानंद सरस्वती जन्म जंयती मंच से यज्ञमानो को सम्बोधित करते हुए आर्य विद्वान आचार्य योगेन्द्र याज्ञिक ने कहा कि , ज्ञान स्वरूप प्रकाशवान परमेश्वर की कृपा से हम सभी अपने जीवन को स्वच्छ और पवित्र करना चाहते हैं। ईश्वर का अनुग्रह हम सबके जीवन पर सदा बना रहे! जिस पवित्र भावना के साथ इस यज्ञ को करने के लिए हम यहां उपस्थित हुए हैं! सर्व शक्तिमान की कृपा से वह पूरा हो, हमारा अंतर मन पवित्र हो, हम सभी धन ईश्वर्य के स्वामी बने और हम सभी पाप से दूर रहे। उन्होंने वेदों के मंत्र उच्चारण के साथ- ओम भू: भुव: स्वाहा का अर्थ बताया और कहा कि, भू मतलब होता है धरती लोक,भूव: का मतलब ,अंतरिक्ष लोक, स्वः का मतलब होता है।

जैसे ईश्वर ने दिव्य लोक को प्रकाशित किया ,अंतरिक्ष लोक में बिजली को प्रकाशित किया और धरती में अग्नि को प्रकाशित किया! और सारी दुनिया के अंदर अंधकार मिटाने का काम ईश्वर आप करते हो, मैं आपके जितना बड़ा सूर्य तो बना नहीं सकता ,आपके जितनी आग इस दुनिया में नहीं जला सकता। लेकिन मै आपके पद चिन्हो पर चलना चाहता हूं। अंधेरे का नाश मै करना चाहता हूं ! इसलिए छोटा सा दीपक मै जल रहा हूं! मानो तीनों लोगों की अग्नि को प्रज्वलित करना चाहता हूं!
उन्होंने यज्ञ के बारे में समझाते हुए बतलाया कि ,यज्ञ के अंदर हमारे ऋषियों ने सोच समझ कर क्रियाएं स्थापित की है ! इस सृष्टि में पुरुष समुदाय अग्नि का प्रतीक है! वही स्त्री समुदाय सौम्यता का प्रतीक है! इसलिए यज्ञ करते समय स्त्री के हाथ में जल का पात्र रहेगा ! और पुरुष यज्ञ में अग्नि देने का कार्य करेगा! इसमे भाव यह है कि, जीवन में जब कभी पुरुष क्रोध में आए तो स्त्री को सौम्यता का परिचय देना चाहिए,मतलब यह है कि, यथा संभव जब पुरुष को आवश्यकता हो तो वह अग्नि बन जाए और जब स्त्री को आवश्यकता हो तो वह जल बन जाए! परस्पर समन्वय से ही सही तरीके से जीवन जिया जा सकता है! यज्ञ की क्रिया यही बता रही है कि ,हमें घर में संयमित जीवन जीना चाहिए। इन शब्दों एवं मन्त्रोच्चारण उच्चारण के साथ ही आचार्य योगेन्द्र जी ने यज्ञ के लिए दीपक प्रज्वलित करवाया और यज्ञ को मंत्रो उच्चारण के साथ संपन्न कराया! उन्होंने बतलाया कि यज्ञ में हमेशा सर्वोत्तम पदार्थ की आहुति देना चाहिए!
दुनिया को वेदों की ओर लौटने का संदेश देने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्म जयंती कार्यक्रम के दौरान आर्य विद्वानों ने प्रत्येक आर्य समाजी को अपने जीवन में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए कहा ।आचार्य योगेंद्र याज्ञिक ने कहा कि आज से डेढ़ सौ वर्ष पूर्व ऋषि दयानंद सरस्वती दुनिया को सचेत करके चले गये ! उन्होंने कहा कि, यह ध्यान रहे कि जब आपके पास शुद्ध अन्न नहीं बचेगा ,पानी शुद्ध नहीं बचेगा ,हवा शुद्ध नहीं बचेगी ! तब जीवन पर संकट मंडराने लगेगा ! ऐसे में एक काम करना – यज्ञ के माध्यम से अपने अन्न को शुद्ध करना ,अपने जल को शुद्ध करना और अपने वायुमंडल को शुद्ध करना और यज्ञ के साथ एक और कार्य करना ! और अपने जीवन मे जितना हो सके अधिक से अधिक पेड़ लगाना! आचार्य योगेंद्र योगेन्द्र ने चिचोली के लोगों से अपील करते हुए कहा कि, अपने जीवन में इतने पेड़ लगाना की जीवन भर उन वृक्षो से ऑक्सीजन प्राप्त कर सको ! आपके द्वारा लगाया गया पेड़ आपके नहीं रहने के बाद भी दूसरों के काम आ सके!
उन्होंने कहा कि चिचोली के दयानंद के अनुयायी अपने धर्म के प्रति समर्पित है! इसलिए अपने जन्मदिन के अवसर पर, विवाह वर्षगांठ के अवसर एवं अपने पूर्वजों की याद मे पेड़ लगाये और धर्म की रक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की भी रक्षा का ध्यान रखें! इस वैद्धिक अनुष्ठान के समापन पर आर्य समाज के प्रधान रोहित आर्य, मंत्री क्राति आर्य ,कोषाध्यक्ष आर्य- सुरेश राठौर, विजय लडडु आर्य,बद्री सोनी,मुकेश राठौर, आर्य वीर दल अध्यक्ष सात्विक आर्य एवं दंयानंद आर्य समाज की ओर से 205 दम्पतियो को “लक्ष्मी तरु के पौधे भेट किये गये ।
आयोजित कार्यक्रम मे – महिला आर्य समाज से प्रधान श्रीमति प्रमिला आर्य मंत्री श्रीमति रोशनी आर्य , श्रीमती सुलोचना मालवी श्रीमती भारती श्रीमती वर्षा मालवीय श्रीमति चिंता जायसवाल श्रीमती अनीता आर्य श्रीमती सारिका आर्य श्रीमती रुपाली आर्य श्रीमती सुरेखा पंडाग्रे श्रीमती सुनीता आर्य श्रीमती गौरी साहू श्रीमती ममता आर्य श्रीमती शीला आर्य का भी सहयोग रहा!
यज्ञ के दौरान – अशोक राठौर, सुबोध जयसवाल, रितेश मालवीय, विजय आर्य कृष्णमूर्ति आर्य सुरेश आर्य राहुल पटेल, राज आर्य आर्यन सरोणे ,योगेन्द्र सूर्यवंशी ,रमेश आर्य राजु पंड्रागे सुनील साठे शुभम आर्य मोहित आर्य ,देवेन्द्र आर्य -दर्श सोनी आलोक आर्य शार्य ,वीर आर्य, राजवीर शौर्यवीर पटेल,आदित्य मालवीय ,आरव छावनकर इत्यादि का विशेष सहयोग रहा।
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