बायोमैट्रिक सिस्टम में आ रही दिक्कत
खेड़ी(मनोहर अग्रवाल)।एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। समीपस्थ ग्राम पंचायत सराढ निवासी 52 वर्षीय आदिवासी किसान मिश्रू कुमरे ने गुस्से में अपनी ही उंगलियां पत्थर से कुचल डालीं।

क्या है मामला?
मिश्रू कुमरे का बचत खाता स्थानीय उप डाकघर में है। वह कई दिनों से अपने ही खाते से पैसे निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट मैच नहीं हो रहे थे। बार-बार असफल प्रयासों के कारण वह परेशान हो गया क्योंकि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी।
गुस्से में लिया खौफनाक फैसला
जब कई कोशिशों के बावजूद बैंक से पैसे नहीं निकल पाए, तो गुस्से में आकर मिश्रू कुमरे ने अपने हाथ की उंगलियों को पत्थर से कुचल दिया। उनका मानना था कि अगर उनकी उंगलियां ही पैसे निकालने में बाधा बन रही हैं, तो उन्हें खत्म कर देना ही बेहतर होगा।
ग्रामीणों में दहशत, प्रशासन अलर्ट
घटना के बाद गांव के लोग स्तब्ध रह गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी उंगलियों में गंभीर चोट बताई।आखिर बायोमेट्रिक सिस्टम में ऐसी दिक्कतें क्यों आ रही हैं।
डिजिटल सिस्टम बना चुनौती
ग्रामीण इलाकों में बायोमेट्रिक आधारित बैंकिंग से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। कई लोगों के फिंगरप्रिंट उम्र, मजदूरी या अन्य कारणों से काम नहीं करते, जिससे उन्हें बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता। यह घटना सरकार और बैंकों के लिए एक चेतावनी है कि डिजिटल सिस्टम के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी बनाई जाएं।
अब क्या होगा?
मिश्रू कुमरे की मनोस्थिति और आर्थिक हालात को देखते हुए प्रशासन उनकी मदद के लिए कोई विशेष कदम उठा सकता है। यह मामला सिस्टम की खामियों को उजागर करता है और सवाल खड़ा करता है कि क्या आधुनिक तकनीक ग्रामीण भारत के लिए पूरी तरह से अनुकूल है?
Leave a comment