बैतूलवाणी के रू-ब-रू कार्यक्रम में खुलकर रखी अपनी बात
BetulVani Interview: बैतूल। जिले के चर्चित युवा आदिवासी नेता जिला पंचायत सदस्य एवं जयस के अध्यक्ष संदीप धुर्वे बैतूलवाणी के रू-ब-रू कार्यक्रम में आए थे। उनसे जिले की राजनीति विशेषकर आदिवासी समाज में जयस संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों पर विस्तृत चर्चा हुई। प्रस्तुत है श्री धुर्वे द्वारा इंटरव्यू में दिए गए जवाब। पूरा इंटरव्यूज बैतूलवाणी के यू ट्यूब चैनल पर देंखे।
राजनीति को समाजसेवा का पेशा बना लिया
आदिवासियों को हक दिलाने का बीड़ा उठा लिया
एक आवाज पर जिसकी आ जाते हैं हजारों लोग
महारैली कर जयस ने अपना लक्ष्य बना लिया
संजय शुक्ला:- आप सबसे कम उम्र के जिला पंचायत सदस्य है आप राजनैतिक में कैसे आए?
संदीप धुर्वे:- हम 2011 से समाज के कार्य में लगे हुए हैं। और हमने देखा कि समाज की कुछ समस्याओं और बातों को सरकार तक पहुंचाना है तो राजनीति में आना पड़ेगा। इसलिए हम राजनीति में आए।
संजय शुक्ला:– आपकी पारिवारिक पृष्ठ भूमि क्या और आपने कौन सी शिक्षा हासिल की इस बारे में बताएं?
संदीप धुर्वे:- पारिवारिक पृष्ठ भूमि के हिसाब से मेरे पिता हेडमास्टर रहे हैं प्राथमिक शाला चिखली रैयत में और शिक्षा भी मैंने वहीं से की है। इसके बाद बैतूल आया और यहीं संजीवनी स्कूल में पढ़ाई की। मैंने एमएसडब्लयू और वकालत पास की।
संजय शुक्ला:- 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान आप पर आरोप लगे थे कि आपने कांग्रेस को हराने का काम किया? इसमें कितनी सच्चाई है?
संदीप धुर्वे:- इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है यह बिल्कुल गलत है। देश का हर नागरिक स्वतंत्र है कि हम अपने समाज की बात को विधानसभा में रखना है इसलिए हम स्वतंत्र हैं। हम विधानसभा चुनाव लड़े हैं और जो भी आरोप प्रत्यारोप लगे हैं वो गलत हैं।
संजय शुक्ला:- मध्यप्रदेश की बात करें तो जयस संगठन आज प्रदेश में भी सक्रिय है लेकिन क्या कारण है कि सरकार नहीं बन पा रही है?
संदीप धुर्वे- मध्यप्रदेश में जयस संगठन पूरी तरह से सक्रिय है। यह सामाजिक संगठन भी है। हम देख रहे हैं कि आदिवासी बहुसंख्यक है फिर भी आदिवासियों की आवाज को दबाया जाता है इसलिए हर जगह जयस समर्थित को मैदान में उतारा गया था। वहां कहीं ना कहीं जो बड़े राजनैतिक दल है उन्होंने पैसे और ताकत दिखाकर हम लोगों को जीतने नहीं देते हैं। आज नहीं तो कल प्रदेश में हमारे विधायक आएंगे।
संजय शुक्ला:- जैसे मध्यप्रदेश में बात करें तो विधानसभा चुनाव के आखरी मूव्हमेंट में जयस के उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लेने की बात कही यह क्या था?
संदीप धुर्वे- राजनैतिक प्रेशर डाले गए। मध्यप्रदेश के कई जगह ऐसा हुआ जरूर है लेकिन बैतूल जिले में ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि हम समाज के हित में लड़ाई लड़ते हैं। हम किसी के दबाव नहीं आए और हम लोगों ने निडर होकर चुनाव लड़ा। हमारे सभी साथियों के साथ लीडरशिप की और चुनाव लड़ा।
संजय शुक्ला:- मध्यप्रदेश में करीब 80 सीटें ऐसे हैं जो कि आदिवासी बाहुल्य मानी जाती है लेकिन क्या कारण है कि जयस का कोई विधायक नहीं बन पा रहा है?
संदीप धुर्वे:- हम वर्तमान समय में देख रहे हैं कि प्रदेश में 50-60 सालों से राजनीति कर रही आ रही दोनों पार्टियां कांग्रेस हो या भाजपा ये पूंजीपति लोगों की पार्टियां हैं और हम लोगों को जो संगठन है, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का संगठन है। चुनाव के समय हम आर्थिक रूप से कमजोर पड़ जाते है। और बड़े दलों के लोग चुनाव के समय नोटों की बौछार कर देते हैं। इससे हमारा संगठन पीछे रह जाता है। आज नहीं तो कल हमें रिजल्ट मिलेगा और हमारे लोग जीतेंगे।
संजय शुक्ला:- आप पर आरोप लगते रहते हैं कि आप आदिवासियों का इस्तेमाल करते हैं? इसमें कितनी सच्चाई है?
संदीप धुर्वे- इसमें सच्चाई तो कुछ भी नहीं है, कहा जाए तो हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो कि राजनीति से जुड़े हैं तो उन्हें तकलीफ होती है कि एक युवा जिसकी टीम है। आज बैतूल जिले और पूरे मध्यप्रदेश में इतने बड़े-बड़े आंदोलन करते हैं तो ऐसे राजनैतिक लोग और उनके जो सरगना होते हैं उन्हें तकलीफ होती है। और वे माइंड डायवर्ट करने के लिए इस तरह की अनर्गल बातें हमारे लिए करते हैं।
संजय शुक्ला:- जयस के बारे में अक्सर कहा जाता कि यह सिर्फ चुनाव के समय ताकत दिखाती है, जबकि ऐसे बहुत सारे जनहित के मुद्दे हैं जिसको भी उठाने चाहिए लेकिन आप नहीं उठाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है?
संदीप धुर्वे- ये लोगों की अलग-अलग सोच पर डिपेंड करता है। आप देखे तो वर्तमान समय में जब से हम लोगों ने संगठन का बीड़ा उठाया है जिले के हो या पूरे प्रदेश के हो हर मुद्दे पर जयस संगठन खड़ा हुआ है। चाहे व्यक्ति किसी भी जाति का हो, किसी भी धर्म का हो या किसी भी वर्ग का हो? किसी के साथ अन्याय या अत्याचार होता है तो उसके साथ जयस संगठन खड़ा है और खड़ा रहेगा।
संजय शुक्ला:– जयस के बैनर तले आप कोई भी आयोजन करते हैं तो हजारों की संख्या में आदिवासी आ जाते हैं, लेकिन यही बात जब हम चुनाव के समय करें तो यह भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो पाती है, इसके पीछे क्या कारण मानते हैं?
संदीप धुर्वे- इसका कारण यह मानता हूं कि हमारे जिले में और मध्यप्रदेश में चूंकि कई वर्षों से जो बड़े-बड़े दल हैं ये लोग राजनीति करते आए हैं और लोगों की मानसिकता है कि कांग्रेस और भाजपा यहां पर सरकार बनाने के काबिल है।हमने देखा है कि अगर बिना सिंबाल के अगर चुनाव हो जाए तो आज भी हम इन लोगों को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। जिला पंचायत चुनाव में हम लोगों ने रिजल्ट दिया कि कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों को हमने पूरी ताकत के साथ हराया है। अभी तो यह शुरूवात है। हमारा प्रयास है कि आगामी चुनाव में हमारी बढ़ोत्तरी होगी और विधानसभा हमारे संगठन के लोग भी जीतेंगे।
संजय शुक्ला:- जैसे भाजपा और कांग्रेस की बात करें तो दोनों पार्टियां आर्थिक रूप से संपन्न हैं। ऐसे में आप उनका मुकाबला कैसे करेंगे?
संदीप धुर्वे- हम लोगों के जो कार्यकर्ता हैं वो गांव स्तर तक जा रहे हैं। और हमारा सीधा सा उद्देश्य है कि हम जिस गांव में जाते हैं जहां पर हमारे कार्यकर्ता हैं। हम आर्थिक रूप से तो मजबूत नहीं है, वहीं पर खाते हैं और उन्हीं से पैसे का सहयोग लेते हैं। वहीं पर पूरी टीम खाना खाती है। ऐसे हम धीरे-धीरे अपनी टीम मजबूत कर रहे हैं और रिजल्ट भी दिखाएंगे आगामी चुनाव में दोनों दलों को कड़ी टक्कर देंगे।
संजय शुक्ला:- आप लंबे समय से राजनीति में हैं, कोई ऐसा वाक्या बताएं जो रोचक रहा हो?
संदीप धुर्वे- मैं बताना चाहता हूं कि जब मैंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा तो पूरा शासन-प्रशासन हमारे खिलाफ था और उस समय भीमपुर में एक वाक्या हो गया था। लेकिन अंदर से हमारे लोगों में जो जुनून और जज्बा था और हमने जमीनी स्तर पर काम किया और हमारे लोगों ने यह अपना बहुमूल्य वोट देकर यह साबित कर दिया कि आप संदीप धुर्वे हमारे लिए लड़ते हैं इसलिए आपको जिताएंगे। और मुझे 17 हजार वोट देकर बैतूल जिले में सर्वाधिक वोटों से जिला पंचायत सदस्य बनाया और सबका मैं आभारी हूं।
संजय शुक्ला:- आने वाले विधानसीाा चुनाव हो या लोकसभा। इसमें आपकी क्या रणनीति रहेगी ताकि आपको कुछ सीट मिल सके?
संदीप धुर्वे:- अभी वर्तमान में हमारी प्रदेश भर में बैठक हुई और हमारे प्रदेश अध्यक्ष हीरालाल अलावा के नेतृत्व में आने वाले समय में जहां लगभग 80 आदिवासी सीटें हें और आदिवासी निर्णायक भूमिका निभाते हैं उन सीटों पर जहां जीत सकते हैं वहां अभी से पूरी रणनीति के साथ तैयारी कर रहे हैं और वहां चुनाव लड़ेंगे।
संजय शुक्ला:-आप आदिवासी समाज से हैं आप उनका नेतृत्व भी करते हैं उन्हें क्या संदेश देना चाहते हैं?
संदीप धुर्वे:- हम उनको कहना चाहते हैं चुनाव-चुनाव के नजरिए से देखना चाहिए और हमको सबको साथ लेकर चलना है। यदि हमें चुनाव लड़ना है तो सभी धर्मों को और सभी को लेकर चलना है और हमारे हक, अधिकारों की बात करा चाहिए। क्षेत्र के जनहित के मामले और सरकारी योजनाओं के जो हमारे गांव तक नहीं पहुंच पाई है उन योजनाओं का लाभ हमारी आखरी पंक्ति को दिलाए और निरंतर समाज में काम करें और जो भी सरकार की योजनाओं हैं उन्हें जनता तक पहुंचाए।
संजय शुक्ला:- यह बताए जैसे आपने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और इसके पहले भी चुनाव के समय आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जयस के कैंडीडेट खड़े करने में आपको चुनाव के समय कोई ऐसा दबाव या लालच दिया गया हो तो बताएं?
संदीप धुर्वे:- जी बिल्कुल चुनाव के समय हमारे ऊपर कई दबाव आए क्योंकि जब 2022 में हम जिला पंचायत का चुनाव लड़े तो उस टाईम हम पर जो प्रेशर था, कई बड़े नेता आए कि आप लोग यहां से चुनाव मत लड़िए आपको जो लगता हम देंगे। और चूंकि हम लोगों ने ऐसा कछ नहीं किया क्योंकि हम जनता के हित में काम कर रहे हैं हारे या जीते हमें चुनाव लड़ना था। हम लोग लड़े उस समय प्रशासन और कई नेताओं के दबाव के चक्कर में हमें याद है हमारा 2 दिन पहले चुनाव का प्रचार बंद कर दिया गया था। कई हमारे पोस्टर पर दूसरे प्रत्याशियों के पोस्टर लगा दिए गए थे। और हमारे जितने भी साथी जो बाहर से हमारा प्रचार करने आए थे उनको भी सबको पुलिस गिरफ्तारी कर रही थी और उनको उस बाऊंड्री से बाहर करवा दिए थे। झंडे वगैरह भी हमारे उतरवा दिए थे। और इसी प्रकार विधानसभा चुनाव में भी ऐसे बड़े-बड़े प्रदेश स्तर के नेताओं के भी हमको प्रेशर आए, बिल्कुल आप चुनाव मत लडिए, आपको आगामी टाईम में मौका देंगे और इस तरह से बहुत लालच भी दिए लेकिन हम लोग किसी से डरे नहीं और जनता के हित में काम करते हैं पर जनता के लिए हम लोगों ने चुनाव लड़ा और दबाव में नहीं आए। हमें आर्थिक रूप से भी लालच दिया। लेकिन तुम हम लालच में बिल्कुल नहीं आए। क्योंकि हमेशा से बताता आ रहा हूें कि हम जनता, समाज के लिए काम कर रहे हैं। यदि हम आज आर्थिक लालच में आ जाए तो कल जनता को भरोसा हम पर से उठ जाएगा। नाहम डरे ना झुके। बड़े-बड़े प्रदेश स्तर के नेताओं के फोन भी आए कि विधानसभा में आपने जो नामांकन दिया है वो वापस ले ले। लेकिन हमने फार्म नहीं उठाया और चुनाव लड़ा।
संजय शुक्ला:- आपसे पूरे इंटरव्यू में चर्चा से यह सार निकला कि आप निडर होकर राजनीति कर रहे हैं।
उठ चलो और कदमों को रफ्तार दो।
अपनो की उम्मीदों को पतवार दो।।
हक के लिए दिखानी होगी आपको पूरी ताकत।
जयस को खड़ा करने आप समय दो।।
यही संदेश आप आप देना चाहते हैं। आप का धन्यवाद।
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