Budget: मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 10 मार्च से शुरू होगा, लेकिन यह सिर्फ 15 दिनों और 9 बैठकों तक सीमित रहेगा। बीते 25 वर्षों में बजट सत्र की अवधि लगातार छोटी होती जा रही है। साल 2001 में जहां बजट सत्र 76 दिनों का था, वहीं इस बार यह 15 दिन का होगा।
📌 मुख्य बिंदु:
🔹 10 मार्च को राज्यपाल का अभिभाषण होगा।
🔹 12 मार्च को वित्त मंत्री बजट पेश करेंगे।
🔹 सत्र में कुल 9 बैठकें होंगी।
🔹 पिछले साल बजट सत्र सिर्फ 5 दिन ही चला था।
बजट सत्र की घटती अवधि पर कांग्रेस का विरोध
🔸 2001 में 76 दिन, 2024 में सिर्फ 15 दिन – सत्र की अवधि लगातार घट रही है।
🔸 विपक्ष का आरोप: सरकार जनता के मुद्दों पर चर्चा से बच रही है।
🔸 नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार – “पहले बजट सत्र 1-1.5 महीने तक चलता था, अब केवल 9 दिन। बीजेपी लोकतंत्र की हत्या कर रही है।”
🔸 उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे – “इतना छोटा सत्र दिखाता है कि सरकार जनहितैषी नहीं है।”
📉 बजट सत्र की अवधि में गिरावट (पिछले कुछ सालों में)
वर्ष | बैठकें |
---|---|
2001 | 27 |
2002 | 28 |
2003 | 28 |
2015 | 5 |
2020 | 1 (कोरोना काल में) |
2022 | 8 |
2023 | 5 |
2024 | 9 (अनुमानित) |
वन नेशन-वन प्लेटफार्म पर नहीं आ पाएगी विधानसभा
🔹 डिजिटलीकरण में देरी – अभी 6 महीने और लगेंगे, जुलाई में पूरा होगा काम।
🔹 नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के तहत 36 करोड़ की लागत से पेपरलेस विधानसभा बनेगी।
🔹 लाभ:
✅ विधायकों को ऑनलाइन दस्तावेज और जानकारियां मिलेंगी।
✅ पेपरलेस विधानसभा से पारदर्शिता और समयबद्धता बढ़ेगी।
✅ पर्यावरण संरक्षण में योगदान।
क्या होगा आगे?
📌 कांग्रेस छोटे सत्र पर सरकार को घेरेगी।
📌 डिजिटल विधानसभा बनाने की प्रक्रिया जुलाई तक पूरी होगी।
📌 9 दिन के सत्र में जनहित के मुद्दों पर चर्चा अधूरी रहने की आशंका।
बजट सत्र छोटा होने से विपक्ष हमलावर है, लेकिन सरकार ने इसे आवश्यक बताते हुए बचाव किया है। अब देखना होगा कि इस छोटे से सत्र में प्रदेश के आर्थिक और जनहित के मुद्दों पर कितनी गहराई से चर्चा हो पाती है।
source internet… साभार….
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