किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ
Consent: भोपाल। वर्षों से लंबित ‘ताप्ती बेसिन ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना’ को लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। शनिवार को भोपाल में आयोजित मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में इस बहुप्रतीक्षित परियोजना पर सहमति बनी और एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
इस बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस समझौते को दोनों राज्यों के किसानों और अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
फडणवीस बोले – “ताप्ती प्रोजेक्ट एक अजूबा”
सीएम फडणवीस ने इस अवसर पर कहा, “ताप्ती मेगा प्रोजेक्ट दुनिया का अजूबा है। साइट पर जाकर ऐसा लगता है मानो एक गुप्त नदी कुएं में समा रही हो और पानी कभी ओवरफ्लो नहीं होता। इस परियोजना से विदर्भ के ओकाला, बुलढाणा और अमरावती जैसे क्षेत्रों की तस्वीर बदल जाएगी।” उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सक्रियता की भी सराहना की और अपने मध्य प्रदेश से आत्मीय रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा, “मैं नागपुर से आता हूं जो पहले मध्य प्रदेश की राजधानी था।”
सीएम यादव – “निमाड़ की जीवनरेखा बनेगा प्रोजेक्ट”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना को निमाड़ अंचल की जीवनरेखा बताया। उन्होंने कहा, “यह प्रोजेक्ट प्राकृतिक तौर पर भूजल स्तर को बेहतर बनाएगा और सिंचाई की स्थिति में क्रांतिकारी सुधार लाएगा। हम महाराष्ट्र से जुड़कर अपनी सांस्कृतिक और व्यापारिक विरासत को भी पुनर्जीवित करेंगे।” उन्होंने जबलपुर से नागपुर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और धार्मिक पर्यटन सर्किट की योजनाओं की भी घोषणा की।
27 साल पुरानी यादें ताजा
सीएम फडणवीस ने बताया कि वे 1998 में भी एक अंतर्राज्यीय बैठक के लिए भोपाल आए थे, जब जामघाट परियोजना पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, “अब इस ऐतिहासिक योजना पर अमल शुरू हो गया है और केंद्र सरकार भी इसमें मदद कर रही है।”
परियोजना का प्रभाव और आँकड़े
यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड रिचार्ज परियोजना मानी जा रही है, जिसमें कुल 31.13 टीएमसी पानी का उपयोग होगा। इसमें से 11.76 टीएमसी पानी मध्य प्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को मिलेगा।
- मध्य प्रदेश में लाभ: बुरहानपुर और खंडवा जिलों की 4 तहसीलें – बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा
- सिंचाई क्षेत्र: मध्य प्रदेश में 1,23,082 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 2,34,706 हेक्टेयर
परियोजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने के लिए केंद्र से बातचीत चल रही है, जिससे इसका विस्तार और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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