गश्ती दल ने कैमरे में कैद किया वीडियो
Core area: नर्मदापुरम(ई-न्यूज)। सतपुड़ा टाईगर रिजर्व फारेस्ट में एक बाघिन 200 मीटर तैरकर देवना नदी पार कर मढ़ई के जंगल में पहुंंची है। बाघिन का तैरते हुए वीडियो गश्ती दल ने कैमरे में कैद किया है। बफर क्षेत्र से कोर क्षेत्र में पहुंचने के लिए बाघिन को नदी तैरकर पार करना पड़ा।
गश्त दल ने कैमरे में कैद किया वीडियो
पेट्रोलिंग पर निकले एसटीआर के जंगल गश्ती दल ने तैरते टाइगर को कैमरे में कैद कर लिया। रोमांचित करने वाले इस वीडियो को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट किया। जिसके कैप्शन में लिखा बाघ एक बार में कई किलोमीटर तक तैर सकते हैं। बाघ एक अच्छा तैराक होता है। जिसे तैरना काफी पसंद होता है।
अक्सर तैरकर नदी पार करते हैं वन्य जीव
एसटीआर के मुताबिक तवा डैम में आकर देनवा नदी समाहित होती है। डैम का बैक वॉटर मढ़ई तक कोर और बफर क्षेत्र में फैला हुआ है। दोनों तरफ के जंगलों से वन्यप्राणी नदी पार कर आवागमन करते रहते हैं। जो कई गश्ती दल को यह दृश्य देखने को मिलते है। रेंजर राहुल उपाध्याय ने बताया गुरुवार को टीम जब गश्ती कर रही थी, तब उन्हें एक बाघिन नदी में तैरते हुए मढ़ई कोर क्षेत्र में जाते दिखाई दी। टाइगर के कोर जोन में आने के बाद से दोनों तरफ के जंगल गश्ती दल सतर्क होकर उसकी सुरक्षा और मॉनीटरिंग में लग गए हैं।
अच्छी तैराक मानी जाती है बाघिन
फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया बाघ एक अच्छा तैराक होता है। उसे तैरना पसंद है, वह कई मीलों तक तैरते हुए पाए गए हैं। बाघ के पंजे और उसकी मांसल शरीर को तैरने की क्षमता प्रदान करता है। बाघ को कई दूरी तक वो आसानी से तैर सकता है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में देनवा नदी और तवा डैम के बैकवाटर में पर्याप्त पानी है।
घास के मैदान होते हैं पसंदीदा क्षेत्र
एसटीआर के कोर क्षेत्र से वन ग्रामों के विस्थापन के बाद खाली गांव घास के मैदान बन गए हैं। यहां घास खाने के लिए हिरण, चीतल, सांभर जैसे वन्यप्राणी का जमाबड़ा रहता है। यहां टाइगर को भी शिकार आसानी से मिल जाता हैं। इसलिए कई टाइगर ने यहां बसेरा बना लिया है। मैदानों के आसपास नदी, प्राकृतिक जल स्त्रातों से पानी भी मिल जाता है। साभार…
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