Cyber Crime:इंदौर: साइबर अपराधियों द्वारा स्टेगनोग्राफी तकनीक का उपयोग करके लोगों को ठगने के मामले सामने आए हैं। इस तकनीक के माध्यम से अपराधी वॉट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ब्लर फोटो और वीडियो भेजते हैं, जिनमें हिडन मैलवेयर छिपा होता है। यूजर जैसे ही इन फाइल्स को डाउनलोड करता है, उसका मोबाइल डिवाइस हैक हो जाता है, जिससे बैंकिंग और व्यक्तिगत डेटा स्कैमर के पास पहुंच जाता है।
क्या है स्टेगनोग्राफी?
स्टेगनोग्राफी एक तकनीक है जिसमें किसी फाइल (जैसे फोटो या वीडियो) के भीतर हिडन डेटा छिपाया जाता है। साइबर अपराधी इस तकनीक का उपयोग करके मैलवेयर को फोटो या वीडियो में छिपाते हैं, जो डाउनलोड करते ही सक्रिय हो जाता है और यूजर के डिवाइस का नियंत्रण स्कैमर के हाथ में चला जाता है।
धोखाधड़ी के हालिया मामले
एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के अनुसार, हाल ही में कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिनमें पीड़ितों ने बताया कि उनके बैंक खातों से बिना ओटीपी के पैसे निकल गए। जांच में पाया गया कि उन्होंने अनजान नंबरों से आई फोटो डाउनलोड की थी, जिससे उनका फोन हैक हो गया और ओटीपी भी स्कैमर के पास पहुंच गया।
सावधानी बरतें: पुलिस की सलाह
- वॉट्सएप पर ‘मीडिया विजिबिलिटी’ ऑप्शन को ऑफ करें, ताकि ऑटो डाउनलोडिंग बंद हो जाए।
- अनजान नंबरों से आए फोटो, वीडियो या ऑडियो फाइल्स को डाउनलोड न करें।
- फोन में एंटीवायरस और सिक्योरिटी एप्स इंस्टॉल करें।
- धोखाधड़ी की घटना होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
राज्य साइबर सेल के एसपी सव्यसाची सराफ के अनुसार, स्टेगनोग्राफी का पता लगाना बहुत कठिन है, इसलिए यूजर्स को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
साभार…
Leave a comment