Device: बेंगलुरु: रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। प्रोफेसर गौतम सोनी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने एक इलेक्ट्रो-फ्लुइडिक डिवाइस विकसित की है, जो सिकल सेल बीमारी (SCD) और एनीमिया जैसी खून की गंभीर बीमारियों की पहचान करने में सक्षम है। यह डिवाइस खास तौर पर ग्रामीण भारत और कम संसाधनों वाले क्षेत्रों में व्यापक जांच और शीघ्र निदान में मददगार साबित हो सकती है।
क्या है सिकल सेल बीमारी?
सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिसमें शरीर के रेड ब्लड सेल (RBC) सामान्य गोल आकार की बजाय अर्धचंद्राकार (sickle-shaped) हो जाते हैं। ये कठोर हो जाते हैं और रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज पैदा करते हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है। इसका परिणाम थकान, दर्द, सूजन और अंगों को नुकसान पहुंचने जैसे लक्षणों में होता है।
भारत में यह बीमारी खास तौर पर जनजातीय और ग्रामीण आबादी में पाई जाती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (2019-21) के अनुसार महिलाओं में एनीमिया की दर 57% और बच्चों में 67.1% तक है।
डिवाइस की कार्यप्रणाली
इलेक्ट्रो-फ्लुइडिक डिवाइस रेड ब्लड सेल्स की कठोरता और लचीलेपन को मापकर SCD की पहचान करता है। यह दो तरीकों से काम करता है:
- फ्री-फ्लाइट मोड: जहां सेल स्वतंत्र रूप से बहती है।
- कंस्ट्रिक्टेड-फ्लाइट मोड: जहां सेल को संकरे मार्ग से गुजरना होता है।
डिवाइस यह जांचता है कि सेल कितना लचीला है और वह संकरे मार्ग से किस तरह गुजरता है। SCD सेल्स सामान्य के मुकाबले अधिक कठोर होते हैं और उसी आधार पर निदान किया जाता है।
प्रमुख विशेषताएं
- किफायती और पोर्टेबल: मौजूदा तकनीकों जैसे HPLC की तुलना में सस्ता और चलायमान।
- हाई रिज़ॉल्यूशन टेस्टिंग: यह डिवाइस RBC के छोटे से छोटे बदलाव को भी पहचान सकता है।
- व्यापक अनुप्रयोग: न केवल SCD, बल्कि ट्यूमर सेल और अन्य रक्त विकारों की जांच में भी सक्षम।
राष्ट्रीय महत्व
भारत सरकार का लक्ष्य 2047 तक सिकल सेल बीमारी को समाप्त करना है। RRI का यह नवाचार इस मिशन को गति दे सकता है। यह ग्रामीण भारत में बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग की संभावनाएं भी खोलता है।
प्रो. गौतम सोनी ने कहा, “हमारा डिवाइस न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से उन्नत है, बल्कि सामाजिक रूप से भी प्रभावशाली है।
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