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Dignity of life: अयोध्या: रामलला के बाद अब ‘राजा राम’ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी ?

अयोध्या: रामलला के बाद अब ‘राजा राम’

Dignity of life: अयोध्या: अयोध्या के भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब एक और विशेष मूर्ति स्थापित की जा रही है — राजा राम के स्वरूप में। एक अंग्रेज़ी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह मूर्ति मंदिर परिसर में अलग से स्थापित की जाएगी और इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी विधिवत की जाएगी। इस निर्णय ने लोगों के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं: क्या यह दूसरी मूर्ति जरूरी है? और राजा राम का दरबार आखिर कैसा होगा?

रामलला और राजा राम – क्या अंतर है?

गर्भगृह में जो रामलला की मूर्ति स्थापित है, वह भगवान राम के बाल स्वरूप की है। इसे प्रभु श्रीराम के जन्मस्थल पर बालक रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जहां वह बालक के रूप में पूजे जाते हैं। अब जो राजा राम की मूर्ति स्थापित की जा रही है, वह भगवान राम के राजसी स्वरूप की होगी — वह स्वरूप जिसमें वे अयोध्या के राजा के रूप में प्रतिष्ठित हुए थे। यह मूर्ति भगवान राम के धर्मराज, मर्यादा पुरुषोत्तम और राज्यधर्म निभाने वाले स्वरूप का प्रतीक मानी जाएगी।

राजा राम का दरबार: कैसा होगा स्वरूप?

जानकारी के मुताबिक, राजा राम की मूर्ति एक विशेष मंडप या कक्ष में स्थापित की जाएगी, जो उनके राजदरबार का प्रतीक होगा। यहां भगवान राम को राजमुकुट, सिंहासन, दंड और शंख-चक्रधारी रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा। उनके साथ सीता माता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की मूर्तियां भी हो सकती हैं — ठीक वैसा जैसा एक पारंपरिक रामराज्य के दरबार में होता है।

क्या है धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व?

धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार, भगवान राम का केवल एक स्वरूप नहीं है। वे नवयुवक राम, रामलला, राजाराम और वनवासी राम जैसे कई रूपों में पूजे जाते हैं। गर्भगृह में रामलला की उपस्थिति भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव से जुड़ी है, जबकि राजा राम का स्वरूप राजधर्म, न्याय, मर्यादा और शासन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस तरह, दोनों मूर्तियों का उद्देश्य और भाव अलग-अलग हैं, और दोनों का पूजन अपने-अपने भावों से जुड़ा है।

स्थानीय श्रद्धालुओं और संत समाज की प्रतिक्रिया

अयोध्या के संत समाज और श्रद्धालुओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि रामराज्य के विचार को मूर्त रूप देने के लिए राजा राम की मूर्ति का प्रतिष्ठान बहुत ही उचित निर्णय है। इससे भावी पीढ़ी को राम के न्यायप्रिय, सर्वहितकारी और धर्मपरायण राजा रूप की प्रेरणा मिलेगी।

साभार… 

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