Discussion:नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए जातियों की मान्य सूची तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए गृह मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की हाल ही में हुई बैठक में कई अहम बिंदुओं पर सहमति बनी है। सरकार अब सुनियोजित और मान्य डेटा संग्रह की तैयारी में जुट गई है।
🔍 जातियों की सूची तैयार करने की कवायद
जनगणना से पहले केंद्र सरकार जातियों की एक प्रारंभिक सूची तैयार करेगी, जिसे बाद में सर्वदलीय बैठक में रखा जाएगा। इस पर राजनीतिक दलों से सुझाव और आपत्तियां मांगी जाएंगी, जिनके आधार पर अंतिम सूची को मंजूरी दी जाएगी। जातीय गणना में सबसे बड़ी चुनौती ओबीसी वर्ग की जातियों की पहचान को लेकर है, क्योंकि एससी-एसटी की गणना पहले से ही जनगणना अधिनियम में शामिल है।
🗓️ 2026 में हो सकती है जातीय जनगणना
जनगणना की प्रक्रिया 2026 में शुरू होने की संभावना है। हालांकि जातीय गणना की शुरुआत सितंबर 2025 से भी हो सकती है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जाति आधारित गणना को मुख्य जनगणना प्रक्रिया के साथ जोड़ा जाएगा।
📊 2011 में मिले थे 46.73 लाख जातीय आंकड़े
2011 की सामाजिक-आर्थिक जातिगत गणना में 46.73 लाख जाति-उपजातियों के आंकड़े मिले थे, जिसे अविश्वसनीय और अव्यवस्थित माना गया था। इसके पहले 1931 में आखिरी जातीय जनगणना हुई थी, जिसमें 4,147 जातियां दर्ज की गई थीं।
⚖️ कानून में संशोधन अनिवार्य
जनगणना अधिनियम 1948 में वर्तमान में केवल एससी-एसटी की गणना का प्रावधान है। ओबीसी वर्ग को जोड़ने के लिए सरकार को कानून में संशोधन करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे देश की 2,650 ओबीसी जातियों का वास्तविक सामाजिक-आर्थिक चित्र सामने आ सकेगा।
📌 जातीय गणना क्यों है अहम?
- आरक्षण और सामाजिक योजनाओं की समीक्षा और पुनर्गठन के लिए डेटा जरूरी।
- मंडल कमीशन (1980) के अनुसार ओबीसी की आबादी 52% मानी गई थी, पर कोई अद्यतित सरकारी आंकड़ा नहीं है।
- राजनीतिक दलों, विशेषकर विपक्ष, लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।
🏛️ राजनीतिक संदर्भ
जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस, आरजेडी, सपा, जेडीयू और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से सक्रिय हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद जातीय प्रतिनिधित्व पर चर्चा तेज हो चुकी है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, ऐसे में जातीय गणना की घोषणा को राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है।
📂 जनगणना फॉर्म में होंगे नए कॉलम
2011 तक जनगणना प्रपत्र में 29 कॉलम होते थे, जिनमें केवल एससी और एसटी की जानकारी ली जाती थी। अब ओबीसी और अन्य जातियों के लिए अतिरिक्त कॉलम जोड़े जा सकते हैं।
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