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Dream Project: आयुष्मान आरोग्य मंदिर: फार्मासिस्ट की कमी से जूझता पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट

आयुष्मान आरोग्य मंदिर: फार्मासिस्ट की कमी से जूझता पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट

Dream Project: भारत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट “आयुष्मान आरोग्य मंदिर” ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। लेकिन फार्मासिस्ट की नियुक्ति न होने के कारण यह योजना अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में असमर्थ साबित हो रही है।


मुख्य समस्याएं:

  1. फार्मासिस्ट की नियुक्ति का अभाव:
    • चार साल बीतने के बाद भी किसी भी आरोग्य मंदिर में फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं की गई है।
    • गाइडलाइन के बावजूद, दवाओं का वितरण और रोगियों को सलाह देने की जिम्मेदारी गैर-फार्मासिस्टों पर है, जो फार्मेसी एक्ट का उल्लंघन है।
  2. अन्य स्टाफ की कमी:
    • डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति भी नहीं हुई है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में कठिनाई हो रही है।
    • सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं पर अत्यधिक भार है।
  3. दवाओं की अनुपलब्धता:
    • आयुर्वेदिक दवाओं के प्रावधान का उल्लेख होने के बावजूद, अभी तक इन दवाओं की आपूर्ति केंद्रों पर नहीं हुई है।

फार्मासिस्ट की भूमिका का महत्व:

  • दवा वितरण: रोगियों को सही दवाओं का वितरण और उनके उपयोग का उचित निर्देश देना।
  • स्वास्थ्य परामर्श: दवा के दुष्प्रभावों और अन्य चिकित्सा संबंधी सलाह देना।
  • गुणवत्ता नियंत्रण: दवाओं के भंडारण और उनके सही उपयोग को सुनिश्चित करना।

गंभीर परिणाम:

  • रोगियों को उपचार में कठिनाई:
    मरीजों को समुचित दवाइयों और परामर्श की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
  • योजना का उद्देश्य विफल:
    समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की प्रधानमंत्री की मंशा पर पानी फिर रहा है।

अन्य राज्यों का उदाहरण:

गुजरात, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों ने गाइडलाइन के अनुसार फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ की नियुक्ति की है, जिससे इन राज्यों में यह योजना अधिक प्रभावी साबित हो रही है।


संभावित समाधान:

  1. तत्काल फार्मासिस्ट नियुक्ति:
    आरोग्य मंदिरों में फार्मासिस्ट की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।
  2. डाटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती:
    प्रशासनिक कामों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर की भर्ती की जाए।
  3. दवाओं की आपूर्ति:
    एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दोनों प्रकार की दवाएं सभी केंद्रों पर उपलब्ध कराई जाएं।
  4. समीक्षा और निगरानी:
    स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए नियमित समीक्षा की जाए।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने की एक उत्कृष्ट पहल है। लेकिन फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ की कमी इस योजना को कमजोर बना रही है। अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो यह परियोजना अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल हो सकती है।


source internet…  साभार…. 

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