वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में ऐतिहासिक कदम
Election:नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) की बहुप्रतीक्षित योजना को वर्ष 2034 तक लागू करने का महत्वाकांक्षी रोडमैप पेश किया है। इस योजना के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। उद्देश्य है कि बार-बार होने वाले चुनावों के कारण देश में शासन की निरंतरता और आर्थिक संसाधनों की बचत सुनिश्चित की जा सके।
🏛️ संसद में पेश हुआ संविधान (129वां संशोधन) विधेयक
केंद्र सरकार ने इसके लिए संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 संसद में पेश कर दिए हैं। यह विधेयक सभी विधानसभा कार्यकालों को लोकसभा चुनावों के साथ संरेखित (Synchronize) करने की प्रक्रिया को विधिक आधार प्रदान करेगा।
📅 कैसे होगा कार्यकाल का तालमेल?
- 2029 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों के बाद, जो भी राज्य विधानसभाएं चुनी जाएंगी, उनका कार्यकाल समायोजित किया जाएगा।
- वर्ष 2027 के बाद जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनका कार्यकाल कम करके 2034 तक सीमित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए, 2032 में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव केवल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए हो सकते हैं, ताकि वह 2034 लोकसभा चुनावों के साथ पूर्ण रूप से एकीकृत हो सके।
🔍 जेपीसी रिपोर्ट और प्रस्तावित प्रक्रिया
इस प्रस्ताव की समीक्षा के लिए गठित संसदीय संयुक्त समिति (JPC) के अध्यक्ष पीपी चौधरी (सांसद, पाली, राजस्थान) ने बताया कि यह योजना लॉजिस्टिक्स, चुनाव आयोग, राज्यों की सहमति, और संवैधानिक संशोधनों पर आधारित एक चरणबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से लागू की जाएगी।
संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, राष्ट्रपति 2029 के लोकसभा चुनावों के बाद अधिसूचना जारी कर अगली आम और विधानसभा चुनावों की संभावित साझा तिथि निर्धारित कर सकते हैं।
💰 चुनाव खर्च और प्रशासनिक लाभ
सरकार का मानना है कि अलग-अलग चुनावों के कारण होने वाले भारी वित्तीय खर्च, जनसाधारण पर बार-बार पड़ने वाले प्रभाव, और आचार संहिता की बारंबारता प्रशासन को बाधित करती है। इस नई प्रणाली से:
- चुनाव खर्च में भारी कमी आएगी।
- केंद्र और राज्यों की विकास योजनाएं बिना बाधा के चल सकेंगी।
- शासन की प्रक्रिया में स्थिरता और निरंतरता आएगी।
⚖️ राजनीतिक सहमति चुनौती, लेकिन तैयारी शुरू
हालांकि, इस पहल के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों की सहमति सबसे बड़ी चुनौती है। फिर भी केंद्र सरकार ने कानूनी, तकनीकी और प्रशासनिक मोर्चों पर इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
साभार…
Leave a comment