Flag hoisting: लखनऊ: अयोध्या में 25 नवंबर को राम मंदिर के मुख्य शिखर पर भव्य और ऐतिहासिक ध्वजारोहण होगा। सुबह 11:58 से दोपहर 1 बजे के बीच होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बटन दबाकर ध्वज फहराएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ध्वज केसरिया रंग का होगा, जिस पर सूर्य का चिह्न, उसके मध्य ‘ॐ’, और कोविदार वृक्ष का चित्र अंकित रहेगा।
राम मंदिर का मुख्य शिखर 161 फीट ऊंचा है, जिस पर 30 फीट ऊंचा ध्वजदंड लगाया गया है। इस प्रकार ध्वज 191 फीट की ऊंचाई पर फहराया जाएगा। यह विशेष ध्वज सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि अयोध्या के इतिहास, सूर्यवंश की परंपरा और रामायण के आध्यात्मिक भावों का समागम है।
ध्वजारोहण का महत्व
बीएचयू के ज्योतिषाचार्य प्रो. विनय कुमार पांडे बताते हैं कि मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापित करना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि देवत्व की उपस्थिति का संकेत है। सनातन परंपरा में शिखर पर लहराता ध्वज बताता है कि मंदिर में दिव्य शक्ति सक्रिय है और भक्तों पर कृपा बनी हुई है। इसलिए ध्वजारोहण को अत्यंत शुभ और पवित्र कर्म माना जाता है।
ध्वज का निर्माण और मजबूती
यह ध्वज अहमदाबाद के कारीगरों ने विशेष नायलॉन पैराशूट फैब्रिक से तैयार किया है।
मुख्य विशेषताएँ —
- कपड़ा तेज हवा, धूप और बारिश में भी खराब नहीं होता
- डबल-कोटेड सिंथेटिक लेयर नमी और तापमान से बचाती है
- ढाई किलो वजन वाला ध्वज लगभग 3 साल तक टिकेगा
- रस्सी को स्टेनलेस स्टील कोर और सिंथेटिक नायलॉन फाइबर से बनाया गया है
- 200 किमी/घंटा तक की हवा झेलने की क्षमता
- सेना व रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों की निगरानी में ध्वजारोहण
ध्वज पर सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष के प्रतीक
सूर्य का चिह्न
राम भगवान सूर्यवंशी थे। इसलिए सूर्य का चिह्न राम राज्य, परंपरा और धर्मराज्य का प्रतीक माना गया है।
सूर्य के मध्य ‘ॐ’
‘ॐ’ को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का सबसे पवित्र नाद माना जाता है।
प्रो. पांडे के अनुसार:
- ‘ॐ’ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है
- सूर्य ऊर्जा, प्रकाश और जीवन का प्रतीक है
- दोनों का मिलन सृष्टि, आत्मा और परमात्मा की एकता का संदेश देता है
वैज्ञानिक शोध में भी सूर्य से निकलने वाली ध्वनि को ‘ॐ’ की तरह बताया गया है।
कोविदार वृक्ष: अयोध्या और रामायण से गहरा संबंध
कोविदार (कचनार की प्रजाति) का उल्लेख हरिवंश पुराण और वाल्मीकि रामायण दोनों में मिलता है।
- अयोध्या का पारंपरिक राजध्वज कभी कोविदार से सजता था
- भरत जब चित्रकूट राम को मनाने पहुंचे थे, उनके रथ पर लगा ध्वज भी कोविदार वाला था
- इसकी पहचान लक्ष्मण ने भी दूर से कर ली थी
इसी कारण राम राज्य की परंपरा को जीवित रखने के लिए राम मंदिर के ध्वज पर कोविदार वृक्ष को स्थान दिया गया है।
विज्ञान और उपयोग
रिसर्च गेट पर प्रकाशित ‘प्लांट एंड एनिमल डायवर्सिटी इन वाल्मीकि रामायण’ में—
- कोविदार को उस क्षेत्र का प्रमुख वृक्ष बताया गया
- इसकी छाल, पत्ते, फूल औषधियों में उपयोग होते हैं
- थायराइड, टॉन्सिल, सूजन, त्वचा रोग, घाव भरने में कारगर
- इसके फूलों के व्यंजन—सब्जी, पकौड़े, अचार प्रसिद्ध हैं
- छाल से प्राकृतिक गुलाबी-भूरे रंग की डाई बनती है
ऑटोमैटिक फ्लैग होस्टिंग सिस्टम
ध्वज फहराने के लिए ऑटोमैटिक फ्लैग होस्टिंग सिस्टम लगाया गया है।
- ध्वज 360° घूम सकेगा
- इसी सिस्टम से ध्वज बदला भी जाएगा
- ट्रस्ट ने ध्वज बदलने की अवधि अभी स्पष्ट नहीं की है
राम-सीता विवाह उत्सव की तैयारियाँ
राम मंदिर में पहली बार राम-सीता विवाह महोत्सव मनाया जा रहा है।
- लगभग 8 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान
- 2,500 लोगों के लिए टेंट सिटी तैयार
- 25 नवंबर को VIP मूवमेंट के कारण आम लोगों के लिए दर्शन बंद
- आम भक्तों के दर्शन 26 नवंबर से शुरू होंगे
- साभार..
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