Grand festival : अक्षय यानी जिसका कभी क्षय (नाश) नहीं होता। तृतीया यानी शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि। 30 अप्रैल 2025 (वैशाख शुक्ल तृतीया) को आने वाली यह तिथि अक्षय तृतीया या आखा तीज कहलाती है, जिसे सनातन धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है।
चार अबूझ मुहूर्तों में एक: अक्षय तृतीया
साल में चार ऐसे विशेष दिन माने जाते हैं जब बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है:
- बसंत पंचमी
- भड़ली नवमी
- देवउठनी एकादशी
- अक्षय तृतीया
इन तिथियों पर विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार आदि शुभ कार्य बिना पंडित से मुहूर्त पूछे किए जा सकते हैं।
धर्म और दान का पर्व
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार:
“अक्षय तृतीया पर धर्म-कर्म, व्रत, उपवास और दान करने से अक्षय (अविनाशी) पुण्य की प्राप्ति होती है।”
इस दिन विशेष रूप से दान करें:
- जल से भरा घड़ा
- जूते-चप्पल
- छाता
- वस्त्र
- अनाज
यदि कुछ भी संभव न हो तो कम से कम जल का दान अवश्य करें।
खरीदारी का महत्व
इस दिन सोना-चांदी, नए वस्त्र, भूमि, वाहन आदि खरीदना शुभ और अक्षय फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं लंबे समय तक फलदायी और समृद्धि देने वाली होती हैं।
भगवान विष्णु के अवतार और अक्षय तृतीया
- इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था — जो चिरंजीवी हैं।
- नर-नारायण अवतार और हयग्रीव अवतार भी इसी दिन हुए माने जाते हैं।
- इसलिए इसे चिरंजीवी तिथि भी कहते हैं।
क्या करें अक्षय तृतीया पर?
- प्रातःकाल स्नान के बाद विष्णु-लक्ष्मी पूजन करें
- केसर मिला दूध दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें
- फिर गंगाजल से अभिषेक करें
- लाल-पीले वस्त्र, फूल, इत्र, पीली मिठाई का भोग लगाएं
- पीपल वृक्ष की पूजा करें और जल अर्पित करें
- दान-पुण्य करें:
- जल, अनाज, छाता, वस्त्र आदि का दान करें
- शाम को करें विशेष पूजन:
- शालिग्राम और तुलसी पूजन
- हनुमान जी की आरती, सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ
- शिवलिंग पर जल अर्पण, “ॐ नम: शिवाय” जप, बिल्व पत्र व धतूरे से श्रृंगार
विशेष मान्यता
“अक्षय तृतीया पर किया गया एक छोटा सा पुण्य कार्य भी अनेक जन्मों तक फल देता है।”
साभार…
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