राज्य सरकार ने कचरा जलाने के लिए छह सप्ताह का मांगा था समय
Hearing: जबलपुर। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड परिसर के जहरीले रासायनिक कचरे को हटाने से संबंधित मामले की सुनवाई अब 18 फरवरी तक बढ़ा दी गई है। एमजीएम एल्युमिनाई एसोसिएशन, इंदौर की याचिका पर यह फैसला लिया गया है। राज्य सरकार ने कचरा जलाने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा था, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी।
याचिकाकर्ता ने सरकार के कदम पर उठाए सवाल
याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनओटकर ने कहा कि राज्य सरकार ने इंदौर और पीथमपुर की जनता को बिना सूचित किए ही कचरा पीथमपुर में जलाने का निर्णय लिया। उनका कहना था कि इंदौर शहर से पीथमपुर की दूरी केवल 30 किलोमीटर है, और अगर जहरीला कचरा यहां रखा जाता है तो यह नागरिकों के लिए खतरे का कारण बन सकता है।
कचरा अनलोड करने की अनुमति मांगी गई
सुनवाई के दौरान सरकार ने हलफनामा पेश करते हुए कहा कि मीडिया में फैली अफवाहों और गलत रिपोर्ट्स के कारण पीथमपुर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सरकार ने कोर्ट से कचरे को नष्ट करने के लिए समय देने और कंटेनर से कचरे को अनलोड करने की अनुमति देने की मांग की। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि वह पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार और सावधानी से कचरे को अनलोड करे।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कई प्रमुख मांगें
याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की कि मामले में गठित हाई-लेवल कमेटी को अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा बचा है, और अब तक केवल 337 टन कचरा ही पीथमपुर भेजा गया है।
पहले एक महीने में कचरा हटाने का था आदेश
हाईकोर्ट ने दिसंबर में दिए गए आदेश में यूनियन कार्बाइड परिसर का कचरा एक महीने के भीतर हटाने का निर्देश दिया था। इसके लिए एक सप्ताह में संयुक्त बैठक कर औपचारिकताएं पूरी करने का आदेश दिया गया था। साथ ही यह चेतावनी दी गई थी कि यदि कोई विभाग आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी राहत विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने के लिए भी कहा गया था।
source internet… साभार….
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