ब्रेन डेट होने पर हार्ट-लिवर दान देकर दो लोगों को दे दी नई जिंदगी
Heart-Liver Donation: जबलपुर(ई-न्यूज)। जिंदगी भर भगवान का सुमरन करने वाले एक पुजारी जब ब्रेन डेड हुए तो इस दुनिया से विदा होने से पहले वह दो लोगों को अपने अंग दान कर भगवान बन गए। पुजारी के हार्ट को भोपाल एम्स और लिवर को इंदौर के चोइथराम हास्पिटल ले जाया गया। दरअसल पुजारी 61 वर्षीय पुजारी बलिराम कुशवाह सडक़ हादसे में घायल होने के बाद ब्रेनडेड घोषित कर दिया गया था। हार्ट को भोपाल के एम्स भेजने के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज से डुमना एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बना कर रवाना कर दिया गया है। वहीं, लिवर के लिए तिलवारा में हेलीपेड बनाया गया। हेलिकॉप्टर के जरिए लिवर को भी इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया है।
बनाया गया था ग्रीन कॉरिडोर
डीसीपी ट्रैफिक संजय सिंह ने बताया कि भोपाल एयरपोर्ट से एम्स तक लगभग 21 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। जबलपुर से लाए ऑर्गन को एम्स में ट्रांसप्लांट के लिए पहुंचाया गया। सुबह 8 बजे से हमारी तैयारी चल रही थी और लगभग 11:30 बजे ऑर्गन भोपाल पहुंचे। हमने केवल 11 मिनट में उन्हें एयरपोर्ट से एम्स तक पहुंचा दिया। एंबुलेंस समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाई थी, इसलिए पुलिस के वाहन से ही ऑर्गन को पहुंचाया गया। ग्रीन कॉरिडोर में लगभग 80 पुलिस जवान और अधिकारी तैनात थे।
डॉक्टरों ने किया था ब्रेनडेड घोषित
जबलपुर सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि सागर के मरीज बलिराम कुशवाह का मंगलवार को रोड एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें मस्तिष्क में गंभीर चोटें आई थीं। प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें जबलपुर के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल रेफर किया गया। बुधवार को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया। ऐसे में परिजन ने अंगदान की इच्छा जाहिर की। इसके बाद यह पता लगाया गया कि अंगों की जरूरत कहां है। जानकारी मिली कि भोपाल एम्स में हार्ट ट्रांसप्लांट होना है। वहीं, चोइथराम हॉस्पिटल इंदौर में एक मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। इस प्रक्रिया के लिए रात भर तैयारी की गई और ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
रोड क्रॉस करते समय बाइक ने टक्कर मारी
मृतक के भतीजे विजय पटेल ने बताया कि बलिराम कुशवाहा मूलत: सागर के रहने वाले थे। वे जबलपुर के सूरतलाई गांव में एक मंदिर की देखरेख का काम करते थे। 21 जनवरी की शाम करीब 7 बजे कटंगी रोड पर एक मोटरसाइकिल चालक ने रोड क्रॉस करते समय उनकी ट्राइसाइकिल को टक्कर मार दी। हादसे में उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। उन्हें तत्काल इलाज के लिए मेडिकल अस्पताल लाया गया। ब्रेनडेड घोषित किए जाने के बाद डॉक्टरों से सलाह-मशविरा कर परिजन ने अंगदान का फैसला लिया। उन्होंने हार्ट, लिवर और किडनी दान करने की सहमति दी थी। हालांकि, किडनी ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके कारण किडनी का ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। भतीजे ने बताया कि बलिराम अविवाहित और दिव्यांग थे। परिवार में भाई, भतीजा और भाभी हैं। डॉक्टर की सलाह पर हमने उनके अंगदान किए हैं। हम सभी को अच्छा लग रहा है कि उनके अंगदान से 2 लोगों को नई जिंदगी मिल जाएगी।
source internet… साभार….
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