Historical temple: रतलाम। दीपावली पर्व पर रतलाम का ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर इस बार फिर देशभर का ध्यान खींच रहा है। यहां मंदिर को फूलों से नहीं, बल्कि हीरे, जवाहरात और नोटों से सजाया गया है। पूरे मंदिर में 10, 20, 50, 100 और 500 रुपए के नोटों की लड़ियां चमक रही हैं। कहा जा रहा है कि इस साल मंदिर को करीब 2 करोड़ रुपए की नकदी और आभूषणों से सजाया गया है।
भक्तों ने मां महालक्ष्मी के चरणों में अपनी तिजोरियां खोल दी हैं। यह धन और गहने दीपोत्सव के पांच दिन पूरे होने के बाद भक्तों को ‘प्रसादी’ के रूप में लौटा दिए जाएंगे। मंदिर समिति ने बताया कि एक रुपए का भी हेरफेर नहीं होता, यही परंपरा की सबसे बड़ी विशेषता है।
🔸 300 साल पुरानी परंपरा
मंदिर के पुजारी अश्विनी पुजारी के अनुसार, यह परंपरा करीब 300 साल पुरानी है। रतलाम के संस्थापक महाराजा रतन सिंह राठौर ने राज्य स्थापना के समय महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली के अवसर पर शाही खजाने के गहनों और सोने-चांदी से श्रृंगार कराया था।
राजा वैभव और सुख-समृद्धि के लिए पांच दिन तक मां लक्ष्मी की आराधना करते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा भक्तों की आस्था से जुड़ गई और आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।

🔸 कुबेर का खजाना बना मंदिर परिसर
महालक्ष्मी मंदिर का गर्भगृह इस समय कुबेर के खजाने जैसा नजर आ रहा है। यहां महालक्ष्मी के साथ गणेशजी और सरस्वती मां की मूर्तियां भी विराजमान हैं।
लक्ष्मी माता के हाथों में धन की थैली है, जो वैभव का प्रतीक मानी जाती है।
मंदिर में माता आठ स्वरूपों — अधी लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, लक्ष्मीनारायण, धन लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और ऐश्वर्य लक्ष्मी के रूप में विराजमान हैं।

🔸 डिजिटल एंट्री और सुरक्षा व्यवस्था
भक्तों द्वारा दी गई धनराशि और आभूषणों की डिजिटल एंट्री की जाती है।
प्रत्येक दानदाता का नाम, पता, फोटो और दी गई राशि की डिटेल दर्ज होती है। उन्हें एक ऑनलाइन टोकन और मंदिर की सील दी जाती है।
दीपोत्सव के पांचवें दिन टोकन देखकर वही राशि प्रसादी के रूप में लौटाई जाती है।
सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में बंदूकधारी गार्ड, सीसीटीवी कैमरे और पास ही स्थित माणक चौक पुलिस थाना की चौबीस घंटे निगरानी रहती है।
🔸 भक्तों की आस्था
झाबुआ, मंदसौर, नीमच, गुजरात और राजस्थान से भी भक्त सजावट के लिए धन और आभूषण लेकर पहुंचे हैं।
कुछ भक्तों ने 5 लाख रुपए तक की राशि दी है।
रतलाम की मनीषा तेंदवानी, जो बैंक से रिटायर हैं, कहती हैं—
“36 साल से यहां आ रही हूं। जब से मां के चरणों में धन रखना शुरू किया, तब से घर में बरकत बढ़ी है। मां की कृपा से हर काम सहजता से होता है।”
🔸 दूसरा मंदिर भी हुआ जगमग
इस बार रतलाम में पहली बार श्री महालक्ष्मी नारायण मंदिर (कालिका माता मंदिर के पीछे) को भी नोटों और आभूषणों से सजाया गया है।
इस तरह शहर के दोनों प्राचीन मंदिर दीपोत्सव पर कुबेर के खजाने की तरह चमक रहे हैं।
साभार…
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