Iftar Party:बिहार की राजनीति में इफ्तार पार्टियों को हमेशा सियासी समीकरणों को साधने और संबंधों को दर्शाने का माध्यम माना जाता है। लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की गैरमौजूदगी कई संकेत देती है।
संभावित कारण और सियासी मायने:
- राजद-कांग्रेस के रिश्तों में खटास:
- कांग्रेस की अनुपस्थिति को गठबंधन में बढ़ती दरार के रूप में देखा जा रहा है। यह संभव है कि कांग्रेस अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने और ज्यादा सीटों की मांग को लेकर दबाव बना रही हो।
- नई रणनीति की तैयारी:
- कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी की लालू यादव से दूरी यह भी दर्शा सकती है कि पार्टी अब जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
- गठबंधन में वर्चस्व की लड़ाई:
- बिहार में राजद हमेशा गठबंधन का बड़ा चेहरा रहा है, लेकिन कांग्रेस संभवतः अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए नई रणनीति अपना रही है।
- नीतीश कुमार और चिराग पासवान की सक्रियता:
- चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार की उपस्थिति ने भी सियासी चर्चाओं को बल दिया है। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि कांग्रेस अन्य संभावनाओं पर भी नजर रख रही है।
आगे क्या हो सकता है?
- यदि कांग्रेस और राजद के बीच संवाद की कमी बनी रही, तो इसका असर आगामी लोकसभा चुनावों में सीट बंटवारे पर पड़ सकता है।
- दूसरी ओर, नीतीश कुमार की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि वे अक्सर विपक्षी गठबंधन में समन्वयक की भूमिका निभाने की कोशिश करते हैं।
- साभार….
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