Wait: नई दिल्ली। एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा पर संसद की संयुक्त समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा बढ़ाया जाना इस विषय की जटिलता और उसके व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
कुछ प्रमुख बिंदु जो इस खबर से उभरते हैं:
- संविधान संशोधन की आवश्यकता:
- ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ इस विषय पर सबसे महत्वपूर्ण विधेयक है। इसके लिए कई संवैधानिक अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसमें राज्य और केंद्र के चुनावी अधिकार क्षेत्र भी शामिल हैं।
- लॉजिस्टिक्स और संसाधन:
- एक साथ चुनाव कराने से निश्चित रूप से समय और खर्च की बचत हो सकती है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनाव आयोग के पास पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति हो।
- संघीय ढांचा:
- भारत का संविधान राज्यों को स्वतंत्र रूप से सरकार चलाने का अधिकार देता है। अगर किसी राज्य सरकार को भंग करना पड़े या समय से पहले चुनाव हों, तो “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के सिद्धांत को कैसे लागू किया जाएगा, यह बड़ा सवाल है।
- राजनीतिक दृष्टिकोण:
- इस विषय पर अलग-अलग राजनीतिक दलों के मत भिन्न हो सकते हैं। कुछ दल इसे सत्ता के केंद्रीकरण के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे प्रशासनिक कुशलता बढ़ाने का माध्यम मानते हैं।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- 1951 से 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होते थे, लेकिन अस्थिर सरकारों और राज्यों में समयपूर्व चुनावों के कारण यह परंपरा टूट गई।
- साभार….
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