Inauguration: नई दिल्ली। भारत की खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआइ द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को बंद करके और जम्मू-कश्मीर में फिर से हमले संचालित करने के उद्देश्य से एक नया संगठन बनाने की कोशिश कर रही है। सूचना के मुताबिक़ इन कोशिशों का मकसद टीआरएफ से जुड़े सारे निशान मिटाकर उसकी जगह एक नया मुखौटा तैयार करना है।
एजेंसियों के पास ठोस जानकारी
इंटेलिजेंस ब्यूरो, एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने टीआरएफ के ठोस वित्तीय और संचार संबंधों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की है। एजेंसियों का कहना है कि उन्होंने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस और कॉल-रिकॉर्ड्स की इतनी तेजी से और प्रभावी जाँच की कि यह आइएसआइ के लिए शर्मनाक साबित हुआ।
पहलगाम हमला और उसके बाद की साज़िश
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पहले टीआरएफ ने ली थी, लेकिन बाद में संगठन ने अपना बयान पलट दिया — जिसे एजेंसियाँ कूटनीतिक और प्रायोजन संबंधी छुपावे की कोशिश मान रही हैं। भारत की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, आईएसआइ संभवतः टीआरएफ के सभी सबूत और कड़ियों को मिटाकर नया संगठन तैयार करना चाहती है।
एनआईए की प्राथमिकता — फंडिंग ट्रेस करना
एनआईए ने पहलगाम हमले की जांच सौंपी गई और उसने संगठन की फंडिंग के पुख़्ता सुराग जुटाए हैं। जांच में 400 से अधिक कॉल रिकॉर्ड सामने आए हैं जो मलेशिया और गल्फ देशों से किए गए हैं और जिनका संबंध कथित फ़ंडिंग से जुड़ा पाया गया है। मलेशियाई नागरिक यासिर हयात पर नौ लाख रुपये के कथित दान के आरोप की भी जानकारी एजेंसियों के रडार पर है।
एफएटीएफ के समक्ष केस मजबूत बनाने का लक्ष्य
एनआईए का ध्यान मुख्यतः फंडिंग चैनलों का पता लगाने पर है ताकि यह मामला वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के समक्ष मजबूती से रखा जा सके। एजेंसियों का मानना है कि अगर फाइनेंशियल लिंक उजागर होते हैं तो पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकता है।
पाकिस्तान के लिए जोखिम और वैश्विक दबाव
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान फिलहाल एफएटीएफ की निगरानी में आने का जोखिम नहीं उठा सकता — खासतौर पर चीन-पाकिस्तानी आर्थिक सहयोग (CPEC) और अमेरिका के साथ हालिया समझौतों को ध्यान में रखते हुए। चीन और अमेरिका दोनों ही ऐसे हालात नहीं चाहेंगे जो पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग के आरोपों के दायरे में ला दें।
साभार…
Leave a comment