Shift: उज्जैन। हाल की घटनाओं, जैसे महाकाल मंदिर में आग लगने से सेवक की मौत, दर्शन के नाम पर ठगी और अन्य विवादों ने मंदिर की छवि को प्रभावित किया है। इन चुनौतियों से निपटने और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम, 1982 में बदलाव की तैयारी की जा रही है। यह प्रक्रिया अगले एक-दो महीनों में पूरी हो सकती है।
महाकाल मंदिर अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव
- मंदिर समिति की भूमिका का विस्तार:
- कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रशासक की भूमिका और दर्शन व्यवस्था के लिए नए नियम बनाए जाएंगे।
- समिति को अधिक अधिकार और जिम्मेदारियां देकर मंदिर प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
- गुजरात के सोमनाथ ट्रस्ट की तर्ज पर नया अधिनियम:
- अधिनियम को सोमनाथ ट्रस्ट के मॉडल के आधार पर तैयार किया जाएगा।
- पूरे उज्जैन तीर्थक्षेत्र को शामिल करने का प्रावधान होगा।
- पूरे उज्जैन क्षेत्र के मंदिर होंगे शामिल:
- वर्तमान अधिनियम केवल महाकाल मंदिर परिसर के 17 प्रमुख मंदिरों और मूर्तियों पर लागू है।
- नए अधिनियम में उज्जैन के अन्य प्रसिद्ध मंदिर जैसे कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु सांदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामण गणेश, और 84 महादेव मंदिर को शामिल किया जाएगा।
- श्रद्धालुओं के लिए नई व्यवस्था:
- दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाया जाएगा।
- ठगी और अन्य विवादों को रोकने के लिए डिजिटल और तकनीकी समाधानों का उपयोग किया जाएगा।
- नए अध्यक्ष और प्रशासक की नियुक्ति:
- मंदिर के अध्यक्ष और प्रशासक की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा, जिससे प्रबंधन अधिक कुशल हो सके।
सरकारी स्तर पर ड्राफ्ट तैयार
- धर्मस्व विभाग द्वारा बदलाव का मसौदा तैयार किया जा रहा है।
- सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद सुझाव मांगे जाएंगे, जिन्हें लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति समीक्षा करेगी।
उज्जैन के विकास की दिशा में कदम
उज्जैन में 50 से अधिक विश्व प्रसिद्ध मंदिर और श्रद्धास्थल हैं। नया अधिनियम इन सभी स्थलों के समग्र विकास और प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करेगा। इसके तहत तीर्थक्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार और मंदिरों का संरक्षण प्राथमिकता होगी।
महाकाल मंदिर अधिनियम में बदलाव से न केवल मंदिर प्रबंधन और दर्शन व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि उज्जैन तीर्थक्षेत्र का विकास भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। यह बदलाव श्रद्धालुओं की आस्था को मजबूत करने और उज्जैन को वैश्विक धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
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