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Jubilee special: हनुमान जयंती विशेष: बच्चों को सिखाएं ‘राम में लगन’ और ‘हनुमान जैसी विनम्रता’

हनुमान जयंती विशेष: बच्चों को सिखाएं ‘

Jubilee special: चूरू: नई पीढ़ी को संस्कार देने की जरूरत, स्कूलों में पढ़ाई जाए हनुमान चालीसा — बागेश्वर धाम सरकार और स्वामी रामभद्राचार्य की अपील

आज हनुमान जयंती के पावन अवसर पर दो बड़े संत—बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री और जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य—ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में हनुमान जी के व्यक्तित्व को आज की पीढ़ी के लिए एक जीवंत प्रेरणा बताया। दोनों ही संतों ने स्कूलों में हनुमान चालीसा और रामचरितमानस पढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे बच्चों में धर्म, भक्ति, सेवा और संस्कार की भावना जागृत हो।


🔸 हनुमान जन्मोत्सव: सेवा और समर्पण की सीख

पंडित धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं, “हनुमान जी का जन्म ही सेवा के लिए हुआ है। उनका समर्पण हमें सिखाता है कि सफलता से पहले विश्राम नहीं करना चाहिए।” वे कहते हैं कि हनुमान जी ने मां जानकी को राम से मिलवाकर अपनी मां के दूध का ऋण चुकाया, यह भक्ति का सर्वोच्च उदाहरण है।


🔸 ‘राम में लगन’ और ‘भक्ति से शक्ति’ – जीवन का मूलमंत्र

धीरेंद्र शास्त्री ने साझा किया कि उन्होंने काम के प्रति लगन हनुमान जी से सीखी है। “राम के लिए हनुमान जी डरे नहीं, झुके नहीं, लड़े भी और विजय भी पाई।”

स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं, “हनुमान जी में भक्ति है तो शक्ति और विद्वता अपने आप आ जाती है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का त्रिवेणी संगम हैं वे।”


🔸 संस्कार की नींव: स्कूलों में राम और हनुमान

धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि बच्चों को अगर बाबर और औरंगज़ेब पढ़ाया जाएगा तो वे तोड़ने वाले बनेंगे, लेकिन अगर राम और हनुमान को पढ़ाया जाएगा, तो वे देश जोड़ने वाले बनेंगे


🔸 राम मंदिर और भारत की नई पहचान

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर धीरेंद्र शास्त्री बोले, “यह न सिर्फ श्रद्धा की जीत है, बल्कि यह भारत की वैश्विक पहचान का प्रतीक बन चुका है।”


🔸 सोशल मीडिया पर सनातन की विजय

धीरेंद्र शास्त्री का मानना है कि सोशल मीडिया से कुतर्कों का खंडन हुआ है। आज सनातन की बात करोड़ों लोगों तक डिजिटल माध्यम से पहुंच रही है।


🔸 राजनीति में धर्म का स्थान

स्वामी रामभद्राचार्य का स्पष्ट मत है कि “धर्म राजनीति का आधार है और संस्कृति उसका श्रृंगार।” उन्होंने यह भी कहा कि हनुमान जी केवल पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि जीवंत प्रेरणा हैं।


🔸 हनुमान पर नव लेखन की योजना

रामभद्राचार्य जी ने बताया कि वे अब हनुमान बाहु और हनुमान चालीसा पर गंभीर भाष्य लिखने की योजना में हैं। उन्होंने पूर्व में महावीर टीका जैसी कई रचनाएं हनुमान जी पर लिखी हैं।

साभार… 

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