Monday , 27 January 2025
Home खेती लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए
खेती

लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए

लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए,दोस्तो भारत के बारे में कहते हैं मेरे देश की धरती उगले हीरे मोती। क्योंकि एक समय ऐसा था जब सारी दुनिया में सबसे ज्यादा धरोहर अपने भारत के पास ही था। सब कुछ दो दुश्मनों द्वारा लूट लिया गया मगर आज भी एक बेहद कीमती धरोहर है जो भारत की मिट्टी पर उकेरी है। दोस्तो क्या आपने भारत के लाल सोने का नाम सुना है।

भारत का लाल सोना कुछ और नहीं बल्कि लाल चंदन है वही चंदन जिसे दुनिया के सामने टॉलीवुड के फिल्म पुष्पा लेकर आयी है 200 प्राइम वीडियो। पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म पुष्पा बारा की एक ब्लॉकबस्टर मूवी बन चुकी है तारीफ में बस इतना कहना पड़ेगा ऐसा कोई शख्स रहा नहीं जो इस मूवी से अंजान होगा। शायद आपने भी इस मूवी को देख लिया होगा मगर दोस्तो अगर आपने अब तक नहीं देखी है तो आपको बता दे पुष्पा फल लाल चंदन के इर्दगिर्द घूमती है।

लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए

इस लुक को देखने के बाद आप समझ जाएंगे लाल चंदन को लेकर कितनी जद्दोजहद की जाती है। लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते है। रक्त चंदन कहने के पीछे वजह ये है कि इस लाल चंदन के चक्कर में आज तक न जाने कितने ही रक्त बह चुके है। यूं तो लाल चंदन दुनिया में सिर्फ और सिर्फ भारतवर्ष में पाया जाता है। ये दुनिया का सबसे कीमती लकड़ी है। दोस्तो आप इमेजिन कीजिए कीमत क्या हो सकती है। दोस्तो आपने कितने रुपए मिलेंगे ये तो नहीं बता सकते मगर आप जब इस लकड़ी के असली कीमत के बारे में सुनेंगे न तो हैरान हो जाएंगे।

लाल चंदन की खेती

दोस्तो लाल चंदन लकड़ी की कीमत 26 हजार से 30 हजार रुपए प्रति किलो है। एक पेड़ से कम से कम 20 से 25 किलो तक की लकड़ी निकल जाती है जिसे बेचकर कम से कम पांच से छह लाख रुपए मिल जाते हैं। यानि कि एक लाल चंदन के पेड़ की कीमत 6 लाख रुपए है और 2 तो एक टन लाल चंदन की कीमत दो करोड़ रुपए हो जाती है। अब हैरान होना तो लाजमी है दोस्तो जो चीज जितनी कम थी उसकी कीमत उतनी ज्यादा होती है। इसकी इतनी कीमत होने के पीछे की वजह ये भी है कि बहुत ही कम मात्रा में पाई जाती है लाल चंदन। भारत के तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश में हुसैन इसे लाल चंदन के चक्कर में तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश के बॉर्डर पर चीन द्वारा कई बार युद्ध की गई और न जाने कितनी जानें रक्त से लथपथ हो गई चीन जिसे दुनिया भर ने अपना दुश्मन घोषित कर दिया। मुबारक के पीछे आज से नहीं बल्कि सदियों से घात लगाए बैठा है।

कितना होगा एक पौधे का दाम जाने

भारत में पाए जाने वाले लाल सोने के बारे में जैसे चीन को पता चला उसने न जाने कितनी साजिशों के द्वारा उसे पाने की कोशिश की लेकिन आज तक इसे पाने के लिए बेकरार रहता है। दोस्तो आपके मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर इस लाल चंदन वह। आखिर इससे किस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आखिर क्यों चीन इसके पीछे पड़ा। तो दोस्तो आज आपके इन सभी सवालों का जवाब हम इस विडियो में देंगे। आज आपको लाल चंदन से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात पता चल जाएगी। ताकि अगली बार जब आप लाल चंदन के बारे में सुनें तो आप इसकी पूरी कथा खोल बैठे तो चलिए शुरू बढ़ते दोस्तों जैसा कि मैंने आपको बताया। लाल चंदन भारत के दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उतार वहां भी हर जगह नहीं सिर्फ और सिर्फ चार जिलों में प्रचुर मात्रा में होते हैं। चित्तूर कडप्पा कुरनूल और नेल्लोर में फैले ये चिलम की पहाड़ी में इस बात से आप इसके साथ होने की वजह समझ सकते हैं। दूसरा इस पेड़ की ऐवरेज हाइट 8 से 11 मीटर होती है।

लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए

लाल चन्दन की खेती सिर्फ 1 एकड़ में कर कमाये लाखो-करोड़ो एक पेड़ की कीमत के आगे फेल है मर्सिडीज की कीमत भी, जानिए

सरकार केवल निर्यात करती है

पूरे विश्व में जंगल की 16 प्रजातियां है जिसमें संतुलन ऐल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधियुक्त मानी गई हैं। रक्त चंदन का साइंटिफिक नाम टैरो कार्ड रीडर सैंडलर से इसकी लकड़ी लालू दिए इसमें सफेद चंदन की तरह कोई खुशबू नहीं होती। दोस्तो लाल चंदन के पेड़ के बारे में सबसे खास बात जो शायद इस दुनिया में कुछ खास चीजों को मिली है वो है इसका वक्त। यानि कि उसे उगने में कितना समय लगता है इस बात को आप इमेजिन कीजिए और हमें कमेंट बॉक्स में बताइए। आप सोच रहे होंगे इतनी कीमती है तो शायद 10 साल में अब 15 साल हो जाता होगा। मगर दोस्तो आपको बता दें कि खेती करने में पूरे तीस साल का समय लगता है और अगर इसे जैविक खेती का तरीका अपनाकर लगाया जा रहा तो शायद 15 साल में इसकी उपजता हो जाती है।

रक्त चंदन की खेती सभी तरह की मिट्टी में हो सकती है लेकिन रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी लाल मिट्टी काली दानेदार मिट्टी में इसके पेड़ छोटे बड़े होते हैं। इसकी खेती ऐसी जगह पर नहीं हो सकती है जहां पानी का जमाव होता हो। इसका मुख्य उपयोग दवा इत्र दूध फर्नीचर और सजावट के सामान विशेष प्रकार के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट आदि को बनाने में किया जाता है। कई लोग प्राकृतिक रंगों और शराब बनाने में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। दोस्तो लाल चंदन से कई तरह की दवाइयां बनाई जाती है और उसमें लाल चंदन के पाउडर जिससे स्किन एलर्जी जैसे एक्जिमा सूजन जलन का इलाज हो सकता है। कहते हैं कि दमा के मरीज को चोर खुजली हो और उसमें लाल चंदन के पाउडर को कपूर के साथ पेस्ट बनाकर लगा दिया जाए तो मिनटों में उसे ठीक कर दे है और चमत्कारी आराम पहुंचाती है और दोस्तों जैसे कि सफेद चंदन का लेप हम सबके चेहरे पर निखार ला सकता है उसी प्रकार से लाल चंदन का लेप भी हमारे चेहरे की खूबसूरती को बढ़ा देता है।

इसके इस्तेमाल से कील मुंहासे भी ठीक हो जाते हैं इसलिए लाल चंदन और भी। डिमांड में रहता है। अमेरिका से जर्नल आफ कैंसर बेसिक एंड क्लिनिकल रिसर्च के मुताबिक बिहार के वैज्ञानिकों द्वारा रक्त चंदन पर किए गए शोध की तारीफ की गई। वैज्ञानिकों ने रक्त चंदन में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता के बारे में नई खोज की है। इसमें स्तन कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता की मौजूदगी का पता लगाया गया है। कहा जाता है रक्त चंदन को शिव और शाक्त मत को मानने वाले अधिक प्रयोग करते हैं। आपको बता दें दोस्तों ये पीले चन्दन का इस्तेमाल वैष्णव मत वाले लोग करते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी डिमांड बहुत अधिक है और यही वजह है कि इसकी सुरक्षा खूब ध्यान से की जाती है। ऐसे में सवा दो लाख हैक्टेयर इलाके में फैले जलम के बाड़े की सुरक्षा काफी अहम होती है 200 स्मगलिंग करने की मात्रा कोई छोटी मोटी नहीं। प्रत्येक वर्ष कम से कम 20 हजार करोड़ रुपए के लाल चंदन का लीगल सप्लाई करता है। जरा सोचिए दोस्तों के घर से लीगली किया जाता तो यह भारतवर्ष का कितना फायदा हो जाता और यही कारण है कि भारत में इसके लिए सजा भी सुनाई गई है।

ऐसे करें लाल चंदन की खेती

कोई भी अगर लाल चंदन की तस्करी करते पकड़ा जाए तो उसे 11 साल की सजा सुनाई जाएगी। लाल चंदन की सबसे ज्यादा तस्करी और कोई नहीं दोस्तो हमारा सबसे करीबी दुश्मन चीन में होता है। दोस्तो आपको तो पता ही होगा। चीन में आयुर्वेदिक मैथड से इलाज करना पसंद करते थे और कुल मिलाकर आयुर्वेद इलाज बहुत यूजफुल भी होता है। इसलिए चीन में लाल चंदन की डिमांड बहुत ज्यादा है। सिर्फ चीन नहीं जापान मंगोलिया में भी लोग लाल चंदन से कई तरह की दवाइयां बनाते हैं जिससे कई तरह की बीमारियों के इलाज होते हैं। इन दवाइयों की रैसिपी को तो कोई नहीं जानता मगर चीन और जापान में लोग इसका इस्तेमाल करना बखूबी जानते हैं। लाल चंदन के पीछे चीजें हाथ होकर बाद में 700 साल पहले की है जब चीन में मिंग राजवंश का काल था।

Read Also: Coriander Growing Tips: प्लास्टिक की बोतल में धनिया उगाये आपके गमले को कर देगा हरा-भरा नहीं पड़ेगी बाजार जाने की जरूरत

सन् 14 से लेकर 17 सेंचुरी तक चीन में मिंग राजवंश रहा जिसमें लाल चंदन की हूबहू महत्वता रही राज में लाल चंदन से तरह तरह का फर्नीचर तैयार किया जाता है। इनको लाल चंदन से बना सामान का शौक था इसलिए मिंग वंश के राज में चाइना में लाल चंदन का खूब सप्लाई होता था। दुनिया भर से लाल चंदन मंगवाई जाती थी और उसे नक्काशी कर की चीजें बनाई जाती थी और उन्हीं चीजों को संग्रह करके एक म्यूजियम में तैयार किया गया जो चाइना में मौजूद है और उसका नाम है रेड सैंडल फुटवियर। यही वजह है कि चीन में आज तक लाल चंदन से बनी चीजों को इज्जत दी जाती है और लाल चंदन से बने फर्नीचर और सजावट के सामान को अपने घर में रखना एक सम्मान की बात मानी जाती है इसलिए चीन में रईसों के घर में आपको लाल चंदन से बनी चीजें देखने को मिल जाती हैं।

दो प्रकार के चन्दन पाए जाते है

जापान में भी एक समय में लाल चंदन की खूब महत्वता थी मगर धीरे धीरे जैसे की सभी लोग पुरानी परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं वैसे जापान में एक पुरानी परंपरा है जिसमें वहां की पारंपरिक शादियों में बजाए जाने वाली एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। इनको लाल चंदन से ही बनाया जाता है मगर वक्त के साथ साथ परंपरा भी खत्म हो गयी और लाल चंदन की डिमांड भी मगर चाइना में लाल चंदन आज भी डिमांड में इसके लिए स्मगलर्स को अच्छी खासी रकम दी जाती है। यही वजह है कि आज कोई भी अपनी जान को जोखिम में ले कर लाल चंदन की तस्करी के लिए तैयार हो जाता है।

खरा सोना है लाल और सफेद चंदन की खेती

कुछ तस्कर पकड़े जाने के डर से कई बार पाउडर के रूप में भी तस्करी करते हैं। दोस्तो भारी मात्रा में तस्करी होने के कारण सवा दो लाख हैक्टेयर में फैली शीशा चलन की बाड़ियों के कई हिस्सों में पाई जाने वाली इन घास लकडिय़ों की तादाद 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। पांच साल पहले 2015 में एनकाउंटर में 20 तस्करों की मौत भी हो गई थी। इसके साथ बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हुई लीगली देखा जाए तो मध्यप्रदेश के वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक चीन जापान सिंगापुर आस्ट्रेलिया सयुक्त अरब अमीरात और पश्चिमी देशों के करीब 400 व्यापारी बोली लगाते हैं।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Betul news:आज के बैतूल मंडी के भाव

बैतूल: कृषि उपज मंडी समिति बडोरा द्वारा आज, दिनांक 04 जनवरी 2025,...