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Launch: सीएम मोहन यादव ने आयुर्वेद पर्व-2025 का किया शुभारंभ

सीएम मोहन यादव ने आयुर्वेद पर्व-

Launch: भोपाल के शासकीय पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व ने आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा और इसकी आधुनिक प्रासंगिकता को फिर से उजागर किया। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन की सहभागिता से यह कार्यक्रम देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हो रहा है।

मुख्यमंत्री का आयुर्वेद पर विश्वास

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उद्घाटन समारोह में आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।

  • आयुर्वेद की प्रभावशीलता: उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि आयुर्वेद की दवाइयां न केवल प्रभावी हैं, बल्कि स्वास्थ्य को दीर्घकालिक रूप से बेहतर बनाती हैं।
  • महाकुंभ 2028: सीएम ने 2028 में आयोजित होने वाले महाकुंभ में आयुर्वेद पर्व के आयोजन की भी घोषणा की।

प्रधानमंत्री आयुर्वेद के ब्रांड एंबेसडर

सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आयुर्वेद का “ब्रांड एंबेसडर” बताते हुए कहा कि पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहे हैं।

  • उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान आयुर्वेदिक काढ़े की मांग एलोपैथिक डॉक्टरों के बीच भी बढ़ी।
  • सीएम ने कहा कि आयुर्वेद मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व का सबसे बड़ा उदाहरण है।

आयुर्वेद के लिए नई पहलें और शोध

कार्यक्रम में कई प्रमुख घोषणाएं और विचार प्रस्तुत किए गए:

  1. आयुर्वेद कॉलेजों का विस्तार: राज्य में 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की योजना।
  2. रिसर्च और ई-लाइब्रेरी: सिकल सेल जैसी बीमारियों पर शोध और एक ई-लाइब्रेरी की स्थापना।
  3. उज्जैन में भूमि आवंटन: आयुर्वेद में काम कर रहे संस्थानों को उज्जैन में भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा।

आयुर्वेद का पुनरुद्धार और वैश्विक महत्व

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि आयुर्वेद को समझने के लिए भारत की सांस्कृतिक और प्राचीन परंपराओं को समझना आवश्यक है।

  • आयुर्वेद का खोया हुआ गौरव वापस लाने और इसे वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की योजना।
  • नई शिक्षा नीति के तहत आयुर्वेद में शोध और विकास को प्राथमिकता देने का उल्लेख।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं

  1. वैज्ञानिक प्रदर्शनी: आयुर्वेदिक उत्पादों और औषधियों का प्रदर्शन।
  2. नि:शुल्क चिकित्सा शिविर: स्थानीय नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं।
  3. राष्ट्रीय संगोष्ठी: 190 से अधिक पीजी स्टूडेंट्स द्वारा रिसर्च पेपर प्रेजेंटेशन।
  4. जड़ी-बूटियों का महत्व: औषधीय पौधों और उनकी उपयोगिता पर चर्चा।

आयुर्वेद पर्व न केवल भारतीय चिकित्सा प्रणाली की ताकत और विविधता को प्रदर्शित करता है, बल्कि इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस आयोजन से आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इसे वैश्विक मंच पर पुनः प्रतिष्ठित करने में मदद मिलेगी।

 source internet…  साभार…. 

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