Wednesday , 8 January 2025
Home Uncategorized Maha Kumbh: किन्नर अखाड़े की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी: संघर्ष और पहचान
Uncategorized

Maha Kumbh: किन्नर अखाड़े की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी: संघर्ष और पहचान

किन्नर अखाड़े की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी

Maha Kumbh: आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, किन्नर अखाड़े की प्रमुख, एक विशिष्ट पहचान रखती हैं। उनका श्रृंगार—सोने के मोटे हार, रुद्राक्ष और हीरे के ब्रेसलेट, कानों में भारी झुमके, नाक में नथ, माथे पर त्रिपुंड और लाल बिंदी—उनकी अनूठी शैली को दर्शाता है। वह बताती हैं, “हम अपने प्रभु के लिए श्रृंगार करते हैं, और इसी रूप में अच्छे लगते हैं।”

महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े की भागीदारी

महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़ा, जूना अखाड़े के साथ रथ-घोड़े और गाजे-बाजे के साथ नगर व छावनी में प्रवेश कर चुका है। इस बार किन्नर अखाड़े के शिविर में ‘किन्नर आर्ट विलेज’ भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें पेंटिंग, मूर्तिकला और फोटोग्राफी जैसे कलात्मक पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

किन्नर अखाड़े की स्थापना का सफर

2015 में किन्नर अखाड़े का गठन आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अथक प्रयासों का परिणाम है।

  • 2014 का सुप्रीम कोर्ट का नालसा जजमेंट: इस फैसले में किन्नरों को “थर्ड जेंडर” के रूप में मान्यता मिली।
  • शुरुआत में 13 परंपरागत अखाड़ों ने विरोध किया, लेकिन आचार्य ने हार नहीं मानी।
  • सनातन धर्म में किन्नरों की मान्यता को आधार बनाकर उन्होंने अखाड़े का विस्तार किया।

जूना अखाड़े का समर्थन

2019 में, जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज के समर्थन से किन्नर अखाड़े को मान्यता मिली। इसके बाद, किन्नर अखाड़े को शाही स्नान में शामिल होने का अधिकार दिया गया।

किन्नर अखाड़ा: वैश्विक पहचान

आज किन्नर अखाड़ा न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, मलेशिया, और बैंकाक जैसे देशों में भी अपनी पहचान बना चुका है।

  • अखाड़े में सिर्फ किन्नर ही नहीं, बल्कि महिला-पुरुष और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होते हैं।
  • यह समानता और समावेश का प्रतीक बन चुका है।

किन्नर अखाड़े के शिविर में आयोजन

महाकुंभ में, 10 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक किन्नर अखाड़े के शिविर में पूजा, रुद्राभिषेक, हवन और धर्म से संबंधित गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।

आचार्य लक्ष्मी नारायण का संघर्ष और योगदान

आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर समुदाय को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए अद्वितीय प्रयास किए हैं। उनका कहना है, “हमने किन्नरों को उपदेवता का स्थान दिलाने का संकल्प लिया और इसे पूरा किया। अब दुनिया हमारी पहचान को सम्मान देती है। किन्नर अखाड़ा, समर्पण और संघर्ष का प्रतीक बनकर सनातन धर्म के साथ ही सामाजिक न्याय का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

source internet…  साभार…. 

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Arrested: पत्नी की हत्या कर शव जलाने वाला पति गिरफ्तार

बोरे में बांधकर ले गया था शव मृतिका की पॉयल से हुई...

Murder: बहन और भैंस की मौत से परेशान होने पर की थी हत्या

पत्नी के बीमार रहने पर आरोपी को था जादू-टोने का संदेह Murder:...

Musical Night: स्टेडियम में बन रहा 6 फीट ऊंचा स्टेज

म्यूजिकल नाइट में 11 को गूंजेंगे सुरो के तराने Musical Night: बैतूल।...

Discounted: पुलिसकर्मियों के लिए रियायती दर पर भोजन और नाश्ता उपलब्ध

Discounted: मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों को अब भोजन और नाश्ते के लिए होटलों...