जीवन की शाम में भी बच्चों के लिए काम, मां तुझे प्रणाम
मदर्स डे पर विशेष
Mother’s Day: मुलताई। नगर के राजीव गांधी वार्ड निवासी 92 वर्षीय की रसूल बाई पंवार मातृत्व का जीता जागता उदाहरण है जो जीवन संध्या में भी बच्चों की चिंता कर लोगों के घरों का कामकाज करती है। नारी शक्ति की अनूठी मिसाल रसूल बाई पूरे जीवन काम काज में व्यस्त रही तथा जीवन के अंतिम पड़ाव में लोगों के घरों का कामकाज कर अपनी जीवटता का परिचय दे रही है। रसूल बाई का पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ रहा लेकिन उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट बनी रही जिससे उन्होंने ने हर मुसीबतों को हरा दिया। वे अभी भी घरों में जाकर गेंहू आदि बीनने सहित अन्य काम करती है तथा सतत काम में जुटी रहती है। उन्होंने बताया कि वे हमेशा काम में इतनी व्यस्त रहती हैं कि उन्हे समय का पता ही नही चलता। अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद वे सुबह से लेकर रात तक काम में जुटी रहती हैं जिससे लगता है कि उनकी नजरों में उम्र सिर्फ एक नंबर है। एक ओर जहां 60 वर्ष के बाद ही लोगों को विभिन्न बीमारियां घेर लेती हैं तथा 90 वर्ष की आयु तक गिने चुने ही लोग जीवित रहते हैं ऐसे में 92 वर्ष की आयु में भी चुस्त दुरूस्त बाई अपनी सेहत का राज सतत शरीर को सक्रिय रखना बताती है। अपनी व्यस्त दिनचर्या के चलते उन्हे यह भी पता नहीं है कि वे कभी बीमार भी पड़ी थी। रसूल बाई की 65 वर्षीय पुत्री कस्तूरी बाई ने बताया कि मां को अभी भी पूरे परिवार की चिंता रहती है तथा मना करने के बावजूद वे लोगों के घरों में जाकर कामकाज करती हैं तथा उन्हे जो भी मजदूरी मिलती है वे बच्चों को दे देती है। कस्तूरी बाई ने बताया कि ईश्वर ऐसी मां सभी को दे जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर भी बच्चों के लिए चिंतित नजर आती हैं।
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