Thursday , 18 September 2025
Home Uncategorized New experiment: संगठन को फिर से खड़ा करने कांग्रेस का नया प्रयोग: ‘विदिशा मॉडल’ से गांव-गांव जोड़ेगी जड़ें
Uncategorized

New experiment: संगठन को फिर से खड़ा करने कांग्रेस का नया प्रयोग: ‘विदिशा मॉडल’ से गांव-गांव जोड़ेगी जड़ें

संगठन को फिर से खड़ा करने कांग्रेस का

New experiment: भोपाल/विदिशा। लगातार चुनावी हार और संगठनात्मक कमजोरी से जूझ रही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अपने पुनर्गठन की एक नई रणनीति पर काम शुरू किया है। इसे पार्टी ने ‘विदिशा मॉडल’ नाम दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विदिशा जिले में शुरू किए गए इस मॉडल को अब पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की अगुवाई में यह मॉडल संगठन के सबसे कमजोर माने जाने वाले विदिशा जिले में लागू किया गया। यहां की पांचों विधानसभा सीटों पर 70 प्रशिक्षित एक्सपर्ट्स को भेजा गया जिन्होंने गांव और वार्ड स्तर पर कांग्रेस की स्थिति का मूल्यांकन किया।

जमीनी कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया संगठन से

विदिशा जिले के हर पंचायत और वार्ड में जाकर इन एक्सपर्ट्स ने कांग्रेस की कमजोरी की स्थानीय वजहों की रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध और सक्रिय कार्यकर्ताओं की पहचान कर पंचायत और वार्ड समितियों का गठन किया गया। इन समितियों को वोटरलिस्ट वेरिफिकेशन, फर्जी वोटर्स की पहचान और बूथ स्तर की रणनीति में सक्रिय भूमिका दी गई है।

डिजिटल डेटाबेस और कॉल सेंटर की व्यवस्था

समितियों का सारा डेटा कांग्रेस द्वारा ऑनलाइन अपलोड किया गया है। प्रत्येक सदस्य का नाम, मोबाइल नंबर और भूमिका अब डिजिटल रूप से दर्ज है। 30 जून तक सभी समितियों का टेलीफोनिक सत्यापन भी कराया जाएगा, जिसके लिए भोपाल में एक कॉल सेंटर बनाया जा रहा है।

टिफिन मीटिंग से बढ़ेगा संवाद

जुलाई महीने में जीतू पटवारी खुद विदिशा की हर विधानसभा क्षेत्र में टिफिन मीटिंग करेंगे। इसमें पंचायत और वार्ड समिति के अध्यक्षों से मुलाकात कर संगठन की दिशा पर सीधी बातचीत होगी। सभी कार्यकर्ता अपने घर से टिफिन लेकर आएंगे और सामूहिक भोज के साथ रणनीति तय की जाएगी।

अब भोपाल और नर्मदापुरम में होगी शुरुआत

विदिशा में सफलता के बाद अब कांग्रेस इसे भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के उन क्षेत्रों में लागू करने की तैयारी कर रही है जहां वह लगातार चुनाव हार रही है। संगठन प्रभारी संजय कामले ने बताया कि यह मॉडल कांग्रेस की पुरानी कार्यपद्धति में जरूरी बदलाव लाने का प्रयास है।

कार्यकर्ताओं में दिखी नई ऊर्जा, पर चुनौतियां भी रहीं

हालांकि विदिशा मॉडल को लागू करते वक्त पार्टी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लंबे समय से उपेक्षित कार्यकर्ताओं में निराशा और असहयोग की भावना दिखी। लेकिन वरिष्ठ नेताओं की बैठक और दिशा-निर्देशों के बाद माहौल बदला। कुछ निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को नोटिस भी दिए गए।

साभार… 

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Exposure: एम्स भोपाल की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: मेलियोइडोसिस से 40% मरीजों की मौत

टीबी जैसे लक्षण से होता है भ्रम Exposure: भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान...

Shift: रेलवे टिकट बुकिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव

जनरल रिजर्वेशन टिकट पर भी जरूरी होगा आधार वेरिफिकेशन Shift: नई दिल्ली।...

Good News: नवरात्रि से पहले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी, 22 दिन बाद फिर शुरू हुई वैष्णो देवी यात्रा

Good News: नई दिल्ली। अर्धकुंवारी क्षेत्र में हुए भूस्खलन के कारण बंद...

Moksha Amavasya: 21 सितंबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, उसी रात होगा सूर्य ग्रहण

Moksha Amavasya: नई दिल्ली। पितृ पक्ष की अंतिम तिथि 21 सितंबर को...