नहीं लेना होगा रेरा की अनुमति
New Policy: भोपाल(ई-न्यूज)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार की केबीनेट में जल्द ही एक नई पालिसी आ सकती है जिसमें किसान अब कालोनी डेवलप कर सकें। इसके लिए उन्हें रेरा सहित अन्य जरूरी अनुमति भी नहीं लेनी पड़ेगी। इसके पीछे सरकार का यह मकसद है कि लोगों को कम कीमत में मकान उपलब्ध हो सके। वर्तमान में शहरों के आसपास बनने वाली छोटी-छोटी कालोनियों में जहां सुविधा पूर्ण नहीं होती है वहीं डेवलप भी नहीं हो पाती है, इसके अलावा मकानों की कीमत भी अत्यधिक बढ़ जाती है।
डेवलपर भी बना सकते हैं टाऊनशिप
किसी भी किसान को कालोनाइजर बनने के लिए किसानों के समूह को अपनी जमीनों का पूल तैयार करना होगा। वे बिना एग्रीमेंट के टाउनशिप डेवलप कर सकते हैं। किसानों के साथ प्राइवेट डेवलपर भी टाउनशिप डेवलप कर सकते हैं लेकिन उन्हें एग्रीमेंट करना पड़ेगा। मोहन सरकार मध्यप्रदेश में इंटिग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी लागू करने जा रही है। इसका मकसद लोगों को बेहतर आवासीय सुविधाएं देना और नियोजित यानी प्लांड तरीके से शहरों और उनकी सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों का विकास करना है। इसके लिए सरकार डेवलपर को कई तरह की रियायतें और सहूलियत देगी। इंटीग्रेटेड टाउनशिप एक नियोजित आवासीय प्रोजेक्ट होता है, जिसमें आवास के साथ स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शॉपिंग सेंटर, फूड कोर्ट, मल्टीप्लेक्स, सुपर मार्केट, मनोरंजन और खेल सुविधाएं होती हैं।
निम्र और मध्यम वर्ग को मकान देना मकसद
सरकार का मकसद निम्न आय वर्ग और मध्यम वर्ग को मकान देना है। इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी में ईडब्ल्यूएस मकानों के लिए 100 प्रतिशत और एलआईजी-अफोर्डेबल मकानों के लिए 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इतना ही नहीं, प्रोजेक्ट के लिए न तो रेरा और न ही अन्य एजेंसियों से अनुमतियां लेने की आवश्यकता होगी। नगरीय विकास एवं आवास के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली समिति टाउनशिप के लिए जरूरी अनुमतियां देने का काम करेगी।
नगरीय प्रशासन विभाग ने दिया प्रेजेंटेशन
नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग 8 फरवरी को इस पॉलिसी के ड्रॉफ्ट का प्रेजेंटेशन मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने कर चुका है। मुख्य सचिव ने मामूली बदलाव के साथ पॉलिसी को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी मिलने की संभावना है। क्या है प्रस्तावित पॉलिसी और इसमें किसान कैसे डेवलपर बन सकते हैं, आम लोगों को किस तरह फायदा मिलेगा
जमीन अधिग्रहण की रहेगी सुविधा
सरकार करेगी मदद: डेवलपर अपने स्तर पर प्रस्तावित टाउनशिप की सीमा के भीतर 80 प्रतिशत जमीन हासिल कर लेता है और बाकी जमीन उसे नहीं मिलती है, तो वह संबंधित प्राधिकरण से जमीन के अधिग्रहण के लिए आवेदन कर सकता है। प्राधिकरण डेवलपर और जमीन के मालिक के बीच नेगोशिएशन करेंगे। जमीन का मुआवजा डेवलपर देगा।
सरकारी भूमि का कंट्रीब्यूशन
यदि कोई सरकारी जमीन प्रस्तावित टाउनशिप के क्षेत्र में आती है तो डेवलपर को सरकारी जमीन का 20त्न या 8 हेक्टेयर, जो भी कम हो दिया जा सकता है। सरकार जो जमीन देगी, उसके बदले डेवलपर को मूल जमीन का 50त्न विकसित प्लॉट के रूप में सरकार को लौटाना होगा। 12 मीटर अप्रोच रोड होना चाहिए।
ग्रीन बेल्ट का विकास
टाउनशिप में 0.4 हेक्टेयर में ग्रीन बेल्ट बनाना जरूरी है। ज्यादा ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त ग्रीन एफएआर दिया जाएगा। सौर, पवन ऊर्जा जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा के संसाधनों का उपयोग करने पर भी एक्स्ट्रा एफएआर मिलेगा। खेती की जमीन खरीदने की लिमिट नही: ऐसे प्रोजेक्ट के लिए डेवलपर जितनी चाहे, खेती की उतनी जमीन खरीद सकता है। इस जमीन का टाउनशिप बनाने के हिसाब से लैंडयूज बदला जाएगा।
तत्काल मिलेगी टाउनशिप की मंजूरी
अनुमतियों के लिए राज्य स्तरीय समिति बनेगी अब तक डेवलपर को सरकार के कई विभागों से अनुमतियां लेना पड़ती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए पॉलिसी में एक राज्यस्तरीय समिति बनाने की सिफारिश की गई है। नगरीय आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे। समिति चाहेगी तो अन्य विभागों के 5 सदस्यों को इसमें शामिल कर सकती है। समिति विभिन्न प्रकार की अनुमतियों को देने के लिए सिंगल विंडो की तरह काम करेगी। साथ ही नीति में संशोधन और नए नियम बनाने का अधिकार भी समिति के पास होगा। साभार…
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