इतिहास की सबसे लंबी देरी पर उठे सवाल
भोपाल, मध्य प्रदेश बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा का लंबा इंतजार अब पार्टी कार्यकर्ताओं की धैर्य की परीक्षा बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में यह संभवतः सबसे लंबी देरी मानी जा रही है जब पार्टी का शीर्ष पद इतने समय तक रिक्त रहा हो।
पांच महीने से अटका फैसला, कार्यकर्ता निराश
प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर चर्चाएं पिछले पांच महीनों से चल रही हैं, लेकिन अब तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। पार्टी कार्यालय में सन्नाटा है और रोज़ाना नई भूमिका की उम्मीद लेकर पहुंचने वाले कार्यकर्ता निराशा व्यक्त कर रहे हैं।
खरगोन से आए कार्यकर्ता नंद पटेल कहते हैं,
“जनवरी में प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय हो जाना चाहिए था, लेकिन अब मई खत्म होने को है और कोई हलचल नहीं है।”
कश्मीर के हालातों और चुनावी व्यस्तता बनी वजह?
सूत्रों के अनुसार, पहलगाम आतंकी हमला, राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा तनाव, और उसके बाद सीजफायर की घोषणाओं के बीच बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अन्य प्राथमिकताओं में व्यस्त रहा। वहीं, पार्टी के संगठनात्मक चुनावों की जिम्मेदारी संभाल रहे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी अब तक मध्य प्रदेश का पहला दौरा नहीं कर पाए हैं।
बीजेपी का जवाब: “निर्णय प्रक्रिया के अनुसार होगा”
इस देरी पर सवाल उठने पर मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा:
“भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। यहाँ कोई भी निर्णय किसी एक व्यक्ति की मर्जी से नहीं होता। पार्टी की कार्यप्रणाली में मंथन और विचार के बाद ही कोई फैसला होता है। सही समय पर निर्णय सभी के सामने होगा।”
कांग्रेस का तंज: “ऊपर से पर्ची नहीं आई”
वहीं, कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा कि निर्णय की देरी की असली वजह केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने कहा:
“बीजेपी में निर्णय नीचे नहीं, ऊपर से आते हैं। जैसे मुख्यमंत्री की पर्ची आई थी, वैसे ही अब अध्यक्ष की भी पर्ची आएगी। कार्यकर्ता केवल फैसले सुनने के लिए हैं, न कि उसमें भागीदार बनने के लिए।”
भविष्य की चुनौती और तैयारी
पार्टी के भीतर यह स्पष्ट है कि नए अध्यक्ष की घोषणा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आगामी निकाय चुनावों, पंचायतों, और लोकसभा 2029 के लिए रणनीतिक संकेत भी होगी। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व किसी भी जल्दबाज़ी से बचते हुए परिपक्व और सामूहिक सहमति से नाम तय करना चाहता है।
नज़रें अब मई के अंत पर टिकीं
अब जबकि मॉनसून की आहट मध्य प्रदेश में महसूस होने लगी है, संगठन और कार्यकर्ता बेसब्री से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद मई के अंत या जून की शुरुआत में इस बहुप्रतीक्षित नाम की घोषणा हो जाए।
साभार…
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