Nutritious food: एक अध्ययन के अनुसार, अगर भारत में टीबी का इलाज करा रहे मरीजों के परिवारों को पौष्टिक भोजन सहायता दी जाए, तो 2035 तक टीबी से होने वाली मौतों में 4.5% और बीमारी के मामलों में 2.2% तक कमी लाई जा सकती है।
- द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, पौष्टिक भोजन की सहायता से 2035 तक लगभग 3.6 लाख मौतें और 8.80 लाख टीबी के मामले रोके जा सकते हैं।
- अनुमान है कि एक मौत रोकने के लिए 24 परिवारों और एक नए मामले को रोकने के लिए 10 परिवारों का इलाज करना आवश्यक होगा।
पोषण की कमी और टीबी का संबंध
- दुनियाभर में टीबी के कुल मामलों का 20% पोषण की कमी से संबंधित है।
- भारत में यह आंकड़ा एक तिहाई से अधिक है, जो चिंता का विषय है।
- दिसंबर 2024 में पीएलओएस मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक शोध ने अनुमान लगाया था कि 2040 तक 6.20 करोड़ टीबी के मामले और 80 लाख मौतें हो सकती हैं।
- इन मामलों से भारत के जीडीपी को 146 अरब डॉलर का नुकसान होने की आशंका है।
स्वास्थ्य पर अतिरिक्त वित्तीय भार
पौष्टिक हस्तक्षेप लागू करने से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर करीब 11,685 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
टीबी: एक गंभीर बीमारी
- टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है।
- सही समय पर उपचार न मिलने से यह जानलेवा हो सकती है।
- टीबी के मामलों में जागरूकता की कमी के कारण समय पर इसकी पहचान नहीं हो पाती, जिससे मरीज की हालत बिगड़ सकती है।
टीबी की जांच और इलाज
- टीबी की जांच आमतौर पर रक्त परीक्षण और त्वचा परीक्षण के माध्यम से की जाती है।
- हालांकि, यह जांच सभी मामलों में टीबी के उच्च और मामूली जोखिम वाले मरीजों के बीच अंतर नहीं कर पाती।
टीबी के मामलों को कम करने के लिए पौष्टिक भोजन सहायता, समय पर जांच, और जागरूकता बढ़ाने जैसे प्रयासों की आवश्यकता है। इससे बीमारी के प्रभाव को न केवल स्वास्थ्य पर, बल्कि आर्थिक स्तर पर भी नियंत्रित किया जा सकता है।
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