Online Dealing: बुरहानपुर। मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला, जिसे कभी “शांति का टापू” कहा जाता था, आज अवैध हथियारों की सबसे बड़ी मंडी के रूप में कुख्यात हो गया है। प्रदेश सरकार और पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद धार, बड़वानी, खरगोन और बुरहानपुर जिलों में सक्रिय गिरोहों का नेटवर्क लगातार पनप रहा है। यहां बने हथियार दिल्ली से लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तक आसानी से पहुंच रहे हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से तस्करी का नया जाल
पुलिस और एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब यह है कि हथियार बनाने और बेचने वाले गिरोह सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वीडियो और फोटो के जरिए हथियारों के नमूने भेजे जाते हैं और सौदे तय किए जाते हैं।
दिल्ली के सरिता विहार में पकड़े गए एक युवक ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने केवल दो साल में ही ऑनलाइन माध्यम से 150 से ज्यादा पिस्टल और कारतूस बेच डाले।
जंगलों में छिपी फैक्ट्रियां
प्रदेश के कई गांवों में यह काला कारोबार खुलेआम चल रहा है—
- खरगोन: सिगनूर, काजलपुरा, सतीफालिया, धूलकोट
- बुरहानपुर: पाचोरी गांव
- धार: लालबाग, बारिया
- बड़वानी: उमर्टी, उंडी खोदरी
यहां बनने वाले हथियारों में देशी कट्टे से लेकर पिस्टल और कार्बाइन तक शामिल हैं।
फर्जी पहचान से चल रहा नेटवर्क
हथियार तस्कर फर्जी प्रोफाइल और नकली दस्तावेजों से ली गई सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। साइबर सेल की निगरानी के बावजूद पुलिस अक्सर ठोस सबूतों तक नहीं पहुंच पाती।
अन्य राज्यों में पकड़ाए हथियार
- गुड़गांव पुलिस (जनवरी–जून 2024): 222 अवैध पिस्टल, स्रोत–मध्य प्रदेश
- पुणे पुलिस (जुलाई–अगस्त 2024): 12 पिस्टल, स्रोत–मध्य प्रदेश
- उत्तराखंड एसटीएफ (जुलाई 2024): रुद्रपुर से 8 पिस्टल, स्रोत–बुरहानपुर
पुलिस का दावा
बुरहानपुर एसपी आशुतोष बागरी का कहना है:
“पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। साइबर सेल ऑनलाइन डीलिंग पर निगरानी रख रही है। गिरोहों को पकड़ने के साथ-साथ उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की भी कोशिश की जा रही है।”
साभार…
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