Order: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें सिविल जज पदों पर भर्ती के लिए तीन साल की लीगल प्रैक्टिस को अनिवार्य कर दिया गया था। जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने यह आदेश सुनाया।
हाईकोर्ट की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने दलील दी कि दोबारा परीक्षा कराना न तो व्यावहारिक है और न ही संवैधानिक। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट का निर्देश मुकदमेबाजी और भ्रम की स्थिति पैदा करेगा।
दरअसल, 23 जून 2023 को मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 में संशोधन कर सिविल जज भर्ती परीक्षा में बैठने के लिए तीन साल की प्रैक्टिस को आवश्यक किया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने संशोधित नियमों को बरकरार रखते हुए 14 जनवरी 2024 की प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए उन अभ्यर्थियों को बाहर करने का आदेश दिया था, जो नए मानदंड पूरे नहीं करते थे।
इस फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि भर्ती प्रक्रिया बाधित नहीं होगी और उम्मीदवारों को बाहर करने का आदेश रद्द कर दिया।
साभार….
Leave a comment