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Plant shutdown: प्रदेश में 100 करोड़ की ऑक्सीजन प्लांट योजना दम तोड़ती हुई, 60% प्लांट बंद

प्रदेश में 100 करोड़ की ऑक्सीजन प्लांट

Plant shutdown: भोपाल। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पैदा हुए ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए प्रदेश के 52 जिलों में पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये की लागत से 190 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। इनका उद्देश्य था कि भविष्य में अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बाहरी संसाधनों पर निर्भर न रहना पड़े। लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 60 प्रतिशत प्लांट अब बंद हो चुके हैं। इन बंद पड़े प्लांटों के कारण प्रदेश के अस्पतालों को हर महीने 1 करोड़ रुपये से अधिक की ऑक्सीजन बाहर से खरीदनी पड़ रही है, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार यदि ये प्लांट सुचारू रूप से संचालित हों, तो ऑक्सीजन पर होने वाला खर्च 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

बड़े शहरों में भी तकनीकी अड़चन

भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा जैसे प्रमुख शहरों में VPSA तकनीक (500–1000 LPM) से युक्त आधुनिक ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। लेकिन ग्वालियर और रीवा में बिजली आपूर्ति की अनियमितता और स्पेयर पार्ट्स की कमी के चलते ये प्लांट बंद पड़े हैं।

छोटे जिलों में और भी खराब हालात

शिवपुरी, दमोह, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, राजगढ़, ब्यावरा जैसे जिलों में रखरखाव के अभाव और बजट की कमी से प्लांट ठप हैं। मंडला और डिंडोरी जैसे आदिवासी क्षेत्रों में तकनीकी सहायता और बिजली आपूर्ति की कमी, फिल्टर खराबी, ओवरहीटिंग और जंग लगने जैसी समस्याएं प्रमुख कारण हैं।

जिलावार स्थिति:

  • नर्मदापुरम: 2.10 करोड़ से दो प्लांट लगाए गए। तकनीशियन की कमी और जंग लगने से दोनों बंद। सिर्फ 92 हजार रु में इन्हें पुनः शुरू किया जा सकता है।
  • विदिशा: 2 करोड़ की लागत वाला 1000 LPM प्लांट सिर्फ फिल्टर और ऑयल की सर्विसिंग के अभाव में बंद है। अस्पताल अब भी बाजार से ऑक्सीजन खरीद रहा है।
  • रायसेन: बेगमगंज का प्लांट नया भवन बनने के बाद से ताले में बंद है। सेंट्रल सप्लाई का कनेक्शन नहीं और तकनीकी स्टाफ अनुपस्थित है।

विशेषज्ञों की राय:

सेवानिवृत्त सीएमएचओ डॉ. पंकज शुक्ला के अनुसार, यदि इन प्लांटों को सोलर ऊर्जा से संचालित किया जाए, तो ऑक्सीजन की लागत में भारी कमी आ सकती है। कई निजी अस्पताल ऐसा कर रहे हैं।

निश्चेतना विशेषज्ञ डाॅ. राजेश माहेश्वरी बताते हैं कि पीएम केयर्स फंड से लगे प्लांट 93–95% शुद्धता वाली मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन बनाते हैं, जो मरीजों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और लिक्विड ऑक्सीजन के समान उपयोगी है।

स्वास्थ्य विभाग का रुख:

आयुक्त स्वास्थ्य, तरुण राठी ने कहा, “हम ऑक्सीजन की मांग और उपलब्धता के अनुसार बंद प्लांट्स को दोबारा शुरू करने की योजना बना रहे हैं। जिन क्षेत्रों में मांग कम है, वहां के प्लांटों को जरूरतमंद अस्पतालों में स्थानांतरित किया जाएगा।”

साभार… 

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