913 लाइसेंसधारकों के पास दो से अधिक हथियार, अतिरिक्त शस्त्र जमा कराने के निर्देश
Portal: ग्वालियर। मध्य प्रदेश में अब हथियार लाइसेंस से जुड़ा पूरा काम “आर्म लाइसेंस इश्युएंस सिस्टम (एलिस)” पर किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने हाल ही में राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों में नेशनल डाटाबेस ऑफ आर्म लाइसेंस (NDAL-ALIS) पर लाइसेंस संबंधी डेटा अपडेट किया जाए। इसके साथ ही प्रदेश में चल रही लोकसेवा पोर्टल की दोहरी व्यवस्था को समाप्त करने की तैयारी है।
दरअसल, पूरे देश में एलिस सिस्टम के जरिए हथियार लाइसेंस से जुड़ी सेवाएं दी जा रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में अब तक लोकसेवा पोर्टल पर भी आवेदन लिए जा रहे थे, जहां यूआईएन (UIN) नंबर की अनिवार्यता नहीं थी। जबकि एलिस सिस्टम में बिना यूआईएन नंबर के कोई प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती।
2016 से लागू है संशोधित नियम
2016 में केंद्र सरकार ने आर्म्स एक्ट में संशोधन कर एलिस सिस्टम को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया था। इसके बाद सभी राज्यों को निर्देश दिए गए कि हथियार लाइसेंस का हर काम इसी सिस्टम पर किया जाए।
हालांकि, मध्य प्रदेश ने 2019 में लोकसेवा के जरिए प्रक्रिया जारी रखी थी। अब गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना यूआईएन वाले लाइसेंसधारकों का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।
913 लाइसेंसधारकों के पास दो से अधिक हथियार
प्रदेश में ऐसे 913 शस्त्र धारक हैं, जिनके पास दो से अधिक हथियार हैं। गृह मंत्रालय ने इन सभी से अतिरिक्त शस्त्र सरेंडर (जमा) कराने के निर्देश दिए हैं।
जिलों के कलेक्टरों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि एलिस पोर्टल पर इन सभी मामलों का शीघ्र निराकरण सुनिश्चित किया जाए।
केंद्र की समय सीमा और प्रक्रिया
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने यूआईएन जारी करने की अंतिम तिथि 30 जून 2020 तय की थी। अब जिनके पास यूआईएन नहीं है, उन्हें एलिस पोर्टल पर आवेदन कर अपडेट कराना होगा।
शस्त्र संबंधी सभी सेवाओं — जैसे लाइसेंस नवीनीकरण, ट्रांसफर, और नए आवेदन — के लिए एलिस के पब्लिक पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
क्या है एलिस सिस्टम
एलिस (Arms License Issuance System) एक नेशनल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसे गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने बनाया है। इसका उद्देश्य पूरे देश में हथियार लाइसेंस प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। इसमें हर लाइसेंसधारक को एक Unique Identification Number (UIN) दिया जाता है, जिससे फर्जीवाड़े और अवैध लाइसेंस रोकने में मदद मिलती है।
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