- Rule: Desk: दैनिक बैलेंस चेक लिमिट: अब हर UPI ऐप से आप केवल 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकते हैं ।
- लिंक्ड अकाउंट चेकिंग: मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट्स को दिन में सिर्फ 25 बार देखा जा सकेगा ।
- ऑटो‑पें स्वीकृति समय स्लॉट्स: EMI, सब्सक्रिप्शन्स और बिल पेमेंट्स अब सिर्फ नॉन‑पीक घंटों (सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1–5 PM, और रात 9:30 PM के बाद) में प्रोसेस होंगे ।
- ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक लिमिट: यदि पेमेंट अटक जाता है, तो उसकी स्थिति सिर्फ 3 बार चेक की जा सकती है—और हर बार कम से कम 90 सेकेंड का गैप होना ज़रूरी है ।
- API थ्रॉटलिंग: NPCI ने बैंकों और PSPs से कहा है कि वे 10 सबसे ज़्यादा यूज़ किए जाने वाले APIs जैसे बैलेंस, स्टेटस, ऑटोपे को पीक घण्टों में नियंत्रित करें ताकि सिस्टम स्थिर रहे ।
❓ क्यों लागू हो रहे ये नियम?
- हाल के महीनों में UPI पर बढ़ते API कॉल्स—जैसे बैलेंस चेक और स्टेटस रिफ्रेश—की वजह से समय-समय पर सिस्टम आउटेज या स्लो डाउन हुआ है ।
- उदाहरण के लिए, 12 अप्रैल 2025 को लगभग 5 घंटे तक सर्विस डाउन रही और success rate 50% तक गिर गया था—NPCI इसे रोकने के लिए ये कदम उठा रहा है ।
- NPCI का उद्देश्य UPI को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना है, खासकर पीक समय में यूज़र अनुभव बेहतर करना ।
👤 यूज़र्स पर इन बदलावों का क्या असर होगा?
यूज़र टाइप | असर | सुझाव |
---|---|---|
आम यूजर (1‑2 बार बैलेंस चेक) | कोई खास अंतर नहीं | पहले जैसा इस्तेमाल जारी रखें |
फ्रीक्वेंट चेकर्स | सीमित लिमिट्स का ध्यान रखें | बैलेंस और स्टेटस चेक की संख्या नियंत्रित करें |
ऑटो‑पे यूज़र्स | पेमेंट टाइम में बदलाव | ऑटोपे टाइम स्लॉट्स के अनुसार देखें |
✅ आपको क्या करना चाहिए?
- कोई सक्रिय कार्रवाई नहीं आपकी ऐप में अपडेट स्वचालित होंगे।
- परन्तु कुछ बातों को ध्यान में रखें:
- दिन में 50 से अधिक बैलेंस चेक न करें
- स्टेटस चेक केवल 3 बार, इसके बीच प्रत्येक 90 सेकंड अंतर
- ऑटोपे केवल नॉन‑पीक समय में ही प्रोसेस होगा
- साभार…
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