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Shift: भाजपा में बड़ा संगठनात्मक बदलाव: कार्यकर्ताओं से संवाद को प्राथमिकता

भाजपा में बड़ा संगठनात्मक

बैतूल से शुरू हुआ नया मॉडल

Shift: भोपाल | मध्यप्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कार्यभार संभालते ही संगठन को कैडर आधारित मजबूती देने का मिशन शुरू कर दिया है। उन्होंने पार्टी के अंदर लंबे समय से चली आ रही कार्यकर्ता उपेक्षा की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए संवाद और समाधान की “प्रत्यक्ष पहुंच” नीति लागू की है।


🗓️ साप्ताहिक हाजिरी का कैलेंडर तैयार

अब भाजपा के सांसद, विधायक और जिलाध्यक्षों को सप्ताह में एक दिन अनिवार्य रूप से कार्यकर्ताओं व आमजन से मिलना होगा। इसके लिए एक राज्यव्यापी शेड्यूल बनाया जा रहा है।
बैतूल जिले से इसकी शुरुआत हो चुकी है, जहां खंडेलवाल स्वयं विधायक हैं। वहाँ के जिला कार्यालय में सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष के बैठक के निश्चित दिन तय कर दिए गए हैं।


🎯 फोकस: कार्यकर्ता की सीधी सुनवाई

“बीजेपी में सबसे पहले कार्यकर्ता की सुनवाई हो, ये मेरी प्राथमिकता है।”
– हेमंत खंडेलवाल, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

खंडेलवाल ने पदभार संभालते ही 20 दिनों में इस मॉडल की नींव रख दी है। उन्होंने जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे अब भोपाल में समय बिताने की बजाय अपने जिलों में रहें और कार्यकर्ताओं व जनता से सीधा संवाद करें।


🏛️ मंत्री भी अब मुख्यालय में बैठेंगे

2004 में कैलाश जोशी के समय जो फॉर्मूला अपनाया गया था, अब फिर से लागू किया जा रहा है। जल्द ही राज्य के मंत्रीगण को भी पार्टी मुख्यालय में निर्धारित दिन बैठने होंगे, ताकि कार्यकर्ता सीधे अपनी बात कह सकें और सरकार को जमीनी फीडबैक मिल सके।


🔄 संगठन-सत्ता का सेतु

यह कदम सिर्फ संवाद नहीं, बल्कि संगठन और सत्ता के बीच समन्वय को सशक्त करने की दिशा में भी है।

  • कार्यकर्ता सरकार की योजनाओं की जानकारी और प्रचार में सहायक होंगे
  • समस्याएं और योजनाओं में अड़चन की सीधी जानकारी फीडबैक सिस्टम से पार्टी नेतृत्व तक पहुंचेगी

🧩 वरिष्ठ पत्रकारों की राय

प्रकाश भटनागर कहते हैं:

“2004 में ये प्रयोग संगठन की सर्वोपरिता का संकेत था। आज की स्थिति अलग है, लेकिन इसका मकसद वही है – सत्ता और संगठन के बीच तालमेल और कैडर की ताकत को फिर से केंद्र में लाना।”


🗳️ कार्यकर्ता संतुष्टि = चुनावी सफलता

मध्यप्रदेश की राजनीति में भाजपा का कार्यकर्ता ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी है।
यदि वही संतुष्ट है, तो विपक्ष से पहले पार्टी का कार्यकर्ता ही चुनाव जिताता या हराता है।
खंडेलवाल इस “शांति काल” का उपयोग संगठन की जड़ों को मज़बूत करने में कर रहे हैं, जो 2028 की तैयारी का साफ संकेत है।


📌 मुख्य बातें संक्षेप में:

  • सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष सप्ताह में एक दिन कार्यकर्ताओं से मिलेंगे
  • बैतूल मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा
  • 21 साल बाद फिर मंत्री भी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मिलेंगे
  • फीडबैक सिस्टम से योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी
  • कैडर आधारित राजनीति को मजबूती देने की रणनीति
  • साभार… 

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