State Education Service: राज्य सरकार द्वारा राज्य शिक्षा सेवा को फिर से सक्रिय करने का निर्णय लिया गया है, जिसे 2013 में लागू किया गया था, लेकिन कानूनी विवादों के कारण ठंडे बस्ते में चला गया था।
मुख्य बिंदु:
- राज्य शिक्षा सेवा का पुनर्गठन:
- स्कूल शिक्षा विभाग ने इस सेवा को पुनः लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
- लोक शिक्षण संचालनालय के डायरेक्टर केके द्विवेदी को इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- संभागवार जिलों के विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) को बुलाकर भौगोलिक संरचना का अध्ययन किया जा रहा है।
- शिक्षा प्रणाली में टकराव दूर करने की पहल:
- वर्तमान में राज्य शिक्षा केंद्र (कक्षा 1-8) और लोक शिक्षण संचालनालय (कक्षा 9-12) के बीच समन्वय की कमी है।
- दोनों इकाइयों को मर्ज करके एक ही शिक्षा सेवा के तहत लाने की योजना है।
- इससे एक ही कमिश्नर के अंतर्गत पूरी शिक्षा व्यवस्था आएगी।
- एरिया एजुकेशन ऑफिसर (AEO) पद का निर्धारण:
- पहले से चयनित अभ्यर्थियों को AEO पद पर नियुक्ति की मांग की जा रही है।
- ब्लॉक स्तर पर पदस्थापन होगा, जिससे प्रशासनिक कसावट आएगी।
- 3500 से अधिक शिक्षक पहले ही इस पद के लिए चयनित हो चुके हैं।
- कानूनी अड़चनों के कारण रुकी थी योजना:
- 2013 में 3256 AEO पदों के लिए परीक्षा हुई थी, लेकिन कानूनी विवादों के कारण नियुक्तियां नहीं हो सकीं।
- पुराने प्राचार्य और लेक्चरार ने इस पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि अध्यापक भी परीक्षा में शामिल थे, लेकिन उनके पास वित्तीय अधिकार नहीं थे।
संभावित प्रभाव:
✔ स्कूली शिक्षा प्रशासन में सुधार होगा।
✔ नीति पारदर्शी होगी तो बेहतर परिणाम मिलेंगे।
✔ ग्रामीण स्तर पर शिक्षा प्रबंधन मजबूत होगा।
शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया:
- शासकीय शिक्ष संघ: नीति पारदर्शी होनी चाहिए।
- राज्य कर्मचारी संघ: इस सुधार से शिक्षा के स्तर में वृद्धि होगी।
अगर राज्य शिक्षा सेवा सुचारू रूप से लागू होती है, तो यह मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
source internet… साभार….
Leave a comment