Station start: नई दिल्ली/लद्दाख। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में भारत का पहला HOPE स्टेशन (Himalayan Outpost for Planetary Exploration) स्थापित किया है। समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह स्टेशन, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों पर संभावित मानव उपस्थिति के परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
ISRO के अनुसार, यह स्टेशन अंतरिक्ष जैसी विषम परिस्थितियों का अनुकरण करने वाला एनालॉग मिशन सेंटर है। इसमें दो मुख्य मॉड्यूल बनाए गए हैं—8 मीटर व्यास का क्रू हाउसिंग मॉड्यूल और 5 मीटर व्यास का यूटिलिटी मॉड्यूल। दोनों मॉड्यूल जुड़े हुए हैं ताकि अंतरिक्ष जैसे हालात में दीर्घकालिक जीवन और मिशन संचालन का अभ्यास किया जा सके।
HOPE मिशन के तहत दो एनालॉग क्रू सदस्य 10 दिनों तक इस कृत्रिम वातावरण में रहेंगे। इस दौरान उनकी जीनोमिक, शारीरिक, मानसिक और एपिजेनेटिक प्रतिक्रियाओं का परीक्षण किया जाएगा। मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में मानव जीवन की व्यवहार्यता, जीवन रक्षक प्रणालियों, स्पेस सूट, स्वास्थ्य निगरानी उपकरण और सैंपल कलेक्शन तकनीकों की उपयोगिता को जांचना है।
ISRO के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) द्वारा संचालित इस मिशन में कई प्रमुख संस्थानों ने भागीदारी की है, जिनमें IIST, RGCB (तिरुवनंतपुरम), IIT हैदराबाद, IIT बॉम्बे और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (बेंगलुरु) शामिल हैं।
ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने 31 जुलाई 2025 को HOPE स्टेशन का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे “भारत की नई अंतरिक्ष यात्रा में आत्मनिर्भरता और उम्मीद का प्रतीक” बताया। विशेषज्ञों के अनुसार, त्सो कार घाटी में तापमान शून्य से नीचे रहता है, वायुदाब कम है, ऑक्सीजन की मात्रा सीमित है और UV विकिरण अधिक है—जो कि मंगल ग्रह जैसे माहौल की नकल करता है। इसी कारण इस क्षेत्र को HOPE मिशन के लिए आदर्श माना गया। यह मिशन भारत के भावी अंतरिक्ष अभियानों जैसे गगनयान, चंद्र और मंगल मिशन की तैयारी में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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