Submarine: विशाखापट्टनम। भारतीय नौसेना को आज एक और बड़ी रणनीतिक ताकत मिली है। देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW SWC) — ‘INS अर्णाला’ — बुधवार को आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। यह ऐतिहासिक अवसर विशाखापट्टनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने की।
🚢 क्या है INS अर्णाला की खासियत?
- INS अर्णाला भारत का पहला शैलो वाटर एंटी-सबमरीन वारशिप है।
- यह जहाज 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है।
- यह 16 स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए ASW SWC जहाजों की श्रृंखला का पहला पोत है।
- नाम लिया गया है महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर — जो भारत की समुद्री विरासत का प्रतीक है।
🔧 स्वदेशी तकनीक और उद्योगों की भूमिका
INS अर्णाला का निर्माण गृह निर्माण निगरानी टीमों की देखरेख में हुआ और इसे 8 मई 2025 को नौसेना को सौंपा गया था। इसमें जिन प्रमुख स्वदेशी कंपनियों का योगदान रहा, उनमें शामिल हैं:
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)
- एलएंडटी डिफेंस
- महिंद्रा डिफेंस
- मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL)
इस परियोजना में 55 से अधिक एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) ने भी सहयोग दिया है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक मजबूत संकेत है।
🛰️ संचालन क्षमताएं और भूमिकाएं
INS अर्णाला को विशेष रूप से कोस्टल और शैलो वाटर ऑपरेशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी मुख्य भूमिकाएं होंगी:
- पनडुब्बी रोधी निगरानी
- सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन्स
- कम तीव्रता वाले समुद्री ऑपरेशन (LIMO)
- तटीय क्षेत्रों में निगरानी और रक्षा
नौसेना अधिकारियों के अनुसार, यह पोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री उपस्थिति को और मजबूत करेगा।
🗣️ CDS जनरल अनिल चौहान ने क्या कहा?
अपने संबोधन में जनरल चौहान ने INS अर्णाला को “भारत की समुद्री शक्ति में एक रणनीतिक बढ़त” बताया और कहा:
“INS अर्णाला की तैनाती से तटीय सुरक्षा प्रणाली और अधिक प्रभावशाली होगी। यह स्वदेशी निर्माण की शक्ति और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र का प्रमाण है।”
साभार…
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