Subsidy: भोपाल | मध्यप्रदेश में इस गर्मी बिजली की खपत जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी ही तेजी से बिजली बिल भी आसमान छूने लगे हैं। खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए यह मौसम एक झटके जैसा साबित हो रहा है, जिनकी खपत 150 यूनिट की सब्सिडी सीमा से एक यूनिट भी ऊपर चली गई। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा 150 यूनिट तक सब्सिडी दी जाती है, लेकिन जैसे ही खपत 151 यूनिट हो जाती है, उपभोक्ता पूरी सब्सिडी से बाहर हो जाता है। नतीजा, बिल में सीधे 700 से 1000 रुपये तक का फर्क देखने को मिल रहा है।
🔌 एक यूनिट का फर्क, 500 से 1000 रुपये तक का झटका
उदाहरण के लिए, अप्रैल में एक उपभोक्ता ने 149 यूनिट बिजली खर्च की, जिसका कुल बिल 966 रुपये था, लेकिन 559 रुपये की सब्सिडी मिलने से उसे सिर्फ 490 रुपये ही चुकाने पड़े। मई में यही उपभोक्ता 151 यूनिट खर्च कर बैठा, और सब्सिडी खत्म होते ही उसे पूरा 1000 रुपये तक का बिल भरना पड़ा।
⚡ टैरिफ में भी बढ़ोतरी, हर वर्ग पर असर
बिजली कंपनियों के अनुसार, उन्हें 4107 करोड़ रुपये से अधिक घाटा हो रहा है। कंपनियों ने टैरिफ में 7.52% वृद्धि की मांग की थी, जिसके बदले विद्युत नियामक आयोग ने 3.46% की वृद्धि को मंजूरी दी। यह नया टैरिफ अप्रैल से लागू हो गया है। अब घरेलू उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट 19 पैसे, गैर-घरेलू के लिए 20 पैसे, और कृषि उपभोक्ताओं के लिए 7 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली महंगी हो गई है।
🏘️ शहर से गांव तक असर
- स्ट्रीट लाइट, पानी सप्लाई, नगर निगम, नगर पंचायत, उद्योग, हर सेक्टर के बिजली बिल बढ़ गए हैं।
- गांवों में कृषि उपभोक्ताओं को भी अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।
🔍 क्या कहता है आंकड़ा?
- 1 करोड़ से अधिक घरेलू उपभोक्ता इस सब्सिडी योजना के अंतर्गत आते हैं।
- 150 यूनिट तक की सीमा में रहते हुए उपभोक्ता 500 रुपये तक की राहत पा सकते हैं।
- पर जैसे ही खपत 151 यूनिट या उससे अधिक हुई, पूरा बिल देना पड़ता है, जिससे उपभोक्ताओं पर अचानक बोझ बढ़ जाता है।
⚠️ विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि योजना की शर्तों की स्पष्ट जानकारी नहीं होना ही इस समस्या की जड़ है। यदि उपभोक्ताओं को सही जानकारी समय पर दी जाए, तो वे अपनी खपत को सीमा में रखकर सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
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