Successful test: नई दिल्ली: भारत ने आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का लद्दाख सेक्टर में सफल परीक्षण कर लिया गया है। यह प्रणाली भविष्य में भारत की हवाई सीमाओं को चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों से होने वाले संभावित खतरे से प्रभावी ढंग से सुरक्षा प्रदान करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर में दिखा था तिकड़ी का चेहरा
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन, पाकिस्तान और तुर्की की सैन्य तिकड़ी ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। तुर्की के ड्रोन और चीनी विमानों के सहयोग से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हवाई हमलों की योजना बनाई थी, लेकिन भारतीय वायु रक्षा बलों ने उन्हें विफल कर दिया। उसी समय से ‘आकाश प्राइम’ को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास तेज़ कर दिए गए थे।
15,000 फीट की ऊंचाई पर हुआ सफल परीक्षण
बुधवार को लद्दाख के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में हुए परीक्षण में ‘आकाश प्राइम’ ने 15,000 फीट की ऊंचाई पर तेज गति से उड़ते लक्ष्य विमानों को दो बार सटीकता से मार गिराया। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रणाली की कार्यक्षमता को परखने के लिए किया गया था और इसके नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे।
आकाश प्राइम: भारतीय सेना की नई ढाल
‘आकाश प्राइम’ सतह से हवा में मार करने वाली एक एडवांस्ड मिसाइल प्रणाली है, जो पहले से तैनात ‘आकाश’ एयर डिफेंस सिस्टम का उन्नत संस्करण है। यह प्रणाली अब भारतीय सेना की तीसरी और चौथी रेजिमेंट का हिस्सा बनने जा रही है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित और सटीक हवाई सुरक्षा प्रदान करेगी।
मेड इन इंडिया, फुल प्रूफ सुरक्षा
पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित इस डिफेंस सिस्टम का उद्देश्य दुश्मन के ड्रोन, फाइटर जेट्स और अन्य हवाई खतरे को बिना देर किए निष्क्रिय करना है। यह भारत के आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) विजन की एक और ठोस उपलब्धि है।
रक्षा विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ‘आकाश प्राइम’ का परीक्षण एक रणनीतिक संकेत है कि भारत अब किसी भी सीमावर्ती या हवाई चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। यह प्रणाली भारत को न केवल उत्तरी सीमाओं पर, बल्कि समुद्री और पश्चिमी मोर्चों पर भी संतुलित सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।
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