Summit: भोपाल में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट मध्यप्रदेश के इतिहास में अब तक की सबसे सफल इन्वेस्टर्स समिट साबित हुई। इस समिट में 30.77 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले, जो पिछली सात समिट के कुल प्रस्तावों (33.19 लाख करोड़) के बराबर हैं।
मुख्य बिंदु:
🔹 भोपाल और इंदौर को लॉजिस्टिक हब के रूप में बढ़ावा
- भोपाल में 2200 करोड़ रुपये के बजट से लॉजिस्टिक पार्क की घोषणा।
- धार और पीथमपुर में भी 255 एकड़ में लॉजिस्टिक पार्क विकसित किया जा रहा है।
- जबलपुर को लॉजिस्टिक हब में शामिल नहीं किए जाने से स्थानीय व्यापारियों और उद्योगपतियों में निराशा।
🔹 महाकौशल और विंध्य क्षेत्र को बड़ा झटका
- जबलपुर भौगोलिक रूप से व्यापारिक केंद्र होने के बावजूद लॉजिस्टिक पार्क से वंचित।
- यदि जबलपुर में यह पार्क बनता, तो महाकौशल, बुंदेलखंड और विंध्य के जिलों को सीधा फायदा मिलता।
- यह क्षेत्र खनिज संपदा और कृषि उत्पादों से भरपूर है, लेकिन लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के अभाव में विकास नहीं हो पा रहा।
🔹 भोपाल और उज्जैन को सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव
- भोपाल संभाग: ₹5.82 लाख करोड़
- उज्जैन संभाग: ₹4.77 लाख करोड़
- इंदौर संभाग: ₹4.76 लाख करोड़
- नर्मदापुरम संभाग: ₹2.93 लाख करोड़
- जबलपुर संभाग: ₹1.06 लाख करोड़ (मुख्य रूप से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पर फोकस)
🔹 जबलपुर में रिन्यूएबल एनर्जी का जोर
- अवाडा ग्रुप ने जबलपुर में बड़ा निवेश करने की घोषणा की।
- लेकिन, उद्योगों की स्थापना और लॉजिस्टिक सपोर्ट की कमी के कारण क्षेत्रीय व्यापार को वांछित गति नहीं मिल रही।
क्या जबलपुर को मिलेगा औद्योगिक विकास का मौका?
🔸 जबलपुर में रेलवे और सड़क नेटवर्क मजबूत होने के बावजूद बड़े उद्योगों का अभाव है।
🔸 सरकार यदि जबलपुर में लॉजिस्टिक हब विकसित करती, तो पूरे राज्य में समान आपूर्ति संभव होती।
🔸 महाकौशल क्षेत्र को लॉजिस्टिक पार्क से जोड़ने की जरूरत ताकि यह औद्योगिक हब के रूप में उभर सके।
सरकार की नीति में जबलपुर और महाकौशल क्षेत्र को प्राथमिकता नहीं मिलना एक गंभीर मुद्दा है। क्या भविष्य में इस क्षेत्र को औद्योगिक विकास का अवसर मिलेगा, या फिर यह उपेक्षा का शिकार ही रहेगा?
source internet… साभार….
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