Surrender: राजगढ़ — मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में पहली बार पुलिस ने एक अनूठी रणनीति अपनाते हुए आरोपियों के घरों की जियो टैगिंग करवाई है। इस पहल का असर इतना व्यापक रहा कि देशभर में चोरी के लिए बदनाम कड़िया, गुलखेड़ी, हुलखेड़ी और दूधी गांवों के 86 कुख्यात अपराधियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।
रविवार को कड़िया गांव में आयोजित पुनर्वास शिविर में एसपी आदित्य मिश्रा के नेतृत्व में 44 आरोपियों ने औपचारिक रूप से पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पित आरोपियों में कई ऐसे भी शामिल हैं, जो देश के विभिन्न राज्यों में 500 से अधिक चोरी की वारदातों में शामिल रहे हैं और जिनकी तलाश में कई राज्यों की पुलिस सक्रिय थी।
संपन्नता की चकाचौंध के पीछे अपराध का जाल
कड़िया, गुलखेड़ी और हुलखेड़ी गांवों में बड़े शहरों जैसे आलीशान मकान हैं, जो देखने में उद्योगपतियों या कारोबारियों के घरों जैसे प्रतीत होते हैं। हालांकि, यह मकान सांसी समुदाय के उन लोगों के हैं, जो शादी समारोहों में नकदी और जेवरात चोरी करने वाले संगठित गिरोहों का हिस्सा रहे हैं। चोरी की वारदातों में महिलाओं और बच्चों का भी सुनियोजित उपयोग किया जाता रहा है।
आंकड़ों की नजर से
- जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच, देश के 216 थानों की पुलिस इन गांवों में दबिश देने के लिए आ चुकी है।
- हर महीने किसी न किसी राज्य की पुलिस की दबिश आम बात बन गई थी।
तकनीकी निगरानी से अपराध पर शिकंजा
एसपी आदित्य मिश्रा ने बताया, “आरोपियों के घरों में जियो टैगिंग करवाई गई। उनके मोबाइल नंबरों की भी हर छह घंटे में निगरानी होती थी और सप्ताह में समग्र विश्लेषण किया जाता था। इस निरंतर निगरानी ने अपराधियों पर मानसिक दबाव बनाया, जिसका परिणाम आत्मसमर्पण के रूप में सामने आया।”
आगे की योजना
पुलिस अब इन आत्मसमर्पित आरोपियों के पुनर्वास और मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष योजनाओं पर काम कर रही है ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और अपराध से दूर रहें।
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