धार्मिक-अध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है तपश्री आश्रम
आनंद रामदास राठौर
Tapobhoomi: चिचोली। ब्लाक के अंतर्गत आने वलो ग्राम झापल वनांचल क्षेत्र झापल का श्रीतपश्री आश्रम प्राकृतिक, धार्मिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सागौन के वनों से अच्छादित इस आश्रम के निकट सात नदियों का उदृगम स्थल है। इस धार्मिक स्थान का वृतांत सदियों से ही नहीं इससे भी आगे युगो मे भी वर्णित है। इस स्थान के बारे में मान्यता है कि इस दुर्गम स्थल पर कपिल मुनि ने भी तप किया था।
मान्यता है कि इस तपोभूमि पर तपस्या में लीन कपिल मुनि ने अपने चिमटे की चोट से पहाड़ के शिखर पर पानी के कुंड को प्रकट किया था। इस स्थान पर आज भी यह कुंड विद्धध्मान है जिसमे भीषण गर्मी मे भी निर्मल और स्वच्छच जल भरा रहता हैं।
कालान्तर में यहाँ प्रसिद्ध संत श्री तप श्री बाबा ने भी तप कर सिद्धिया प्राप्त की थी। कहते है कि संत के तप के प्रभाव से इस प्राकृतिक और दुर्गम स्थान पर विचरण करने वाले हिंसक प्राणी भी अपनी हिंसक प्रवृति छोड़कर समान्य हो जाते थे। श्रीतपश्री बाबा ने सात नदियों के उद्गम स्थल पर वर्षों तक कठोर साधना की। इस स्थान से निकलने वाली सात नदियों में काजल, गांगुल, चामील, गंजाल, मोरण, भाजी और खांडू शामिल है जो अपने कलकल प्रवाह से इस क्षेत्र के जीवन को अनगिनत वर्षो से पल्लवित करते चली आ रही है।
श्री तपश्री बाबा को मनाने वाले अनुयायिओं के अनुसार श्रीतपश्री आश्रम में तप करने के बाद बाबा ने चिचोली के निकट वीरान पड़े सोनपुर में अपना आश्रम स्थापित किया था। वृतांत है कि संत के कदम पड़ते ही वीरान सोनपुर में पुन: एक बार मानवीय चहल पहल आबाद हो गई। चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम में आज भी महाशिव रात्रि पर बाबा के अनुयायियों का जन सैलाब उमड़ता है।
श्रीतप श्री आश्रम के निकट पाँच नादियों के उदृगम स्थल के साथ ही यह स्थान पहाड़ों और सागौन सहित अन्य प्रजाति के वृक्षों से आज भी अच्छादित है। यहाँ पर पहुंचकर प्राप्त होने वाले आध्यामिक सुकून की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है। झापल के श्री तपश्री आश्रम में जिस स्थान पर बाबा ने वर्षों तपस्या की थी आज भी इस स्थान पर एक आध्यामिक और ईश्वरीय ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है।
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