30 जून से 25 अगस्त के बीच होगी तीर्थयात्रा, विदेश मंत्रालय ने खोली आवेदन प्रक्रिया
Travel: नई दिल्ली: पांच साल के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। इच्छुक तीर्थयात्री http://kmy.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 13 मई, 2025 तय की गई है।
यात्रा का कार्यक्रम और रूट
- यात्रा 30 जून से 25 अगस्त, 2025 के बीच आयोजित होगी।
- उत्तराखंड और सिक्किम के रास्ते कुल 15 जत्थे कैलाश मानसरोवर जाएंगे।
- उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से 5 जत्थे (प्रत्येक में 50 यात्री) और सिक्किम के नाथूला दर्रे से 10 जत्थे (प्रत्येक में 50 यात्री) यात्रा करेंगे।
5 साल बाद चीन ने दी अनुमति
कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन के कब्जे वाले तिब्बत क्षेत्र से होकर गुजरती है। 2020 से कोविड महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद के चलते यात्रा पर रोक लगी थी। अब दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद डेमचोक और देपसांग इलाकों से सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति बनी थी, जिससे यात्रा का रास्ता फिर से खुल पाया है।
भारत-चीन के बीच फिर से उड़ानें भी शुरू
2020 के बाद बंद हुई भारत-चीन डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस भी 2025 में फिर से शुरू होने जा रही है। कोरोना महामारी से पहले हर महीने दोनों देशों के बीच 539 सीधी उड़ानें चलती थीं, लेकिन महामारी और सीमा विवाद के चलते यात्रियों को बांग्लादेश, सिंगापुर, थाईलैंड और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों के जरिए यात्रा करनी पड़ती थी, जिससे यात्रा महंगी और लंबी हो गई थी।
कैलाश मानसरोवर का धार्मिक महत्व
- कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है।
- यह क्षेत्र तिब्बत में स्थित है, और चीन इस पर अपना अधिकार जताता है।
- कैलाश पर्वत का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा दिखाई देता है।
- उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से कैलाश पर्वत की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है।
भारत से दर्शन का नया विकल्प
पिछले साल उत्तराखंड पर्यटन विभाग, सीमा सड़क संगठन (BRO) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने मिलकर लिपुलेख दर्रे से कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए एक स्थान चिन्हित किया था। 3 अक्टूबर 2024 को पहली बार भारतीय क्षेत्र से श्रद्धालुओं को कैलाश पर्वत के दर्शन संभव हुए थे, जिससे लोगों में काफी उत्साह देखा गया।
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