Saturday , 16 August 2025
Home Uncategorized Unique tradition: अनहोनी के डर से एक दिन पहले मनाते होली
Uncategorized

Unique tradition: अनहोनी के डर से एक दिन पहले मनाते होली

अनहोनी के डर से एक दिन पहले

Unique tradition घोड़ाडोंगरी/ (नीलेश मालवीय). अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए पहचाना जाता है यहां के ग्रामीण अलग-अलग परंपराओं को निभाते चले आ रहे हैं बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील के बरेलीपार गांव में अनहोनी के दर से करीब 400 सालों से ग्रामीण होली पर्व दो दिन पूर्व मनाते आ रहे हैं। बरेलीपार गांव में के ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व बुधवार को ही होली पर मान लिया। वही मंगलवार को होलिका दहन किया। वही शाहपुर तहसील के रायपुर गांव के ग्रामीण एक दिन बाद होली पर्व मनाते हैं।

400 सालों से ग्रामीण 2 दिन पूर्व मना रहे होली

बरेलीपार के ग्रामीण शिवरतन सलाम ने बताया कि गांव में करीब 400 सालों से ग्रामीण दो दिन बाद होली पर्व मना रहे हैं। यह परंपरा कई पीढ़ी से हम निभा रहे हैं। गांव में कोई भी त्यौहार हो एक या दो दिन पूर्व मान लिया जाता है। त्योहार के दिन गांव में कोई भी त्यौहार नहीं मानता। गांव में खामोशी रहती है।

ग्रामीण कमल उइके ने बताया कि बरेलीपार गांव में


कोई भी त्यौहार अपनी निश्चित तिथि पर नहीं मनाया जाता। होली-दिवाली या कोई भी त्यौहार तय तिथि से एक या दो दिन पहले ही मना लिया जाता है। त्यौहार के दिन गाँव में सन्नाटा पसरा रहता है। इस बार होली 13 मार्च और धुरेड़ी 14 मार्च को है। लेकिन बरेली पर गांव में 11 मार्च को होली पर मना कर होलिका दहन किया गया वहीं 12 मार्च को धुरेड़ी मना ली गई। अनहोनी के डर के कारण ग्रामीण पहले ही त्यौहार मना लेते हैं।

अनहोनी के डर से पहले मानते है त्यौहार

ग्रामीण राजेंद्र वर्मा ने बताया कि कई पीढियां से गाँव में यही नियम चला आ रहा है. ऐसा बताया जाता है कि दशकों पहले यहां जब भी कोई त्यौहार मनाया जाता था, तो गाँव मे कोई अनहोनी हो जाती थी. इसके चलते कई वर्षों तक तो यहां कोई भी त्यौहार मनाया ही नहीं गया. लेकिन जब दोबारा शुरुआत हुई तो दहशत के चलते हर त्यौहार एक दिन पहले ही मनाया जाने लगा।

एक दिन बाद मनाई जाती है होली

रायपुर गांव के ग्रामीण चंद्र मर्सकोले ने बताया कि रायपुर गांव में होली पर्व एक दिन पहले मनाया जाता है। कई पीढियां से यह परंपरा चली आ रही है। पूर्वजों ने यह परंपरा बनाई थी। जिसका पालन आज भी ग्रामीण कर हो रहा है। सरपंच ज्योति टेकाम ने बताया कि गांव में एक दिन बाद होली पर्व मनाने का नियम पूर्वजों द्वारा बनाया गया। पूर्वजों द्वारा तय की गई तिथि पर ही त्योहार मनाते हैं। त्योहार सभी की खुशहाली के लिए होते हैं। इसीलिए इसे पारंपरिक तरीके से मनाना जरूरी है।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Independence Day: जिले में हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

जिला स्तरीय मुख्य समारोह में प्रभारी मंत्री ने किया ध्वजारोहण मुख्यमंत्री के...

Election: उपराष्ट्रपति चुनाव: एनडीए उम्मीदवार की जीत लगभग तय

नाम 15 अगस्त के बाद होगा घोषित Election: नई दिल्ली — उपराष्ट्रपति...

Population Control: दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या का हल जनसंख्या नियंत्रण से: मोहन भागवत

Population Control: कटक, ओडिशा — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत...

Protection: ऐरण में मिले श्रीकृष्ण भक्ति के प्राचीनतम साक्ष्य, ASI कर रहा संरक्षण

Protection: भोपाल, मध्य प्रदेश — सागर जिले के ऐरण गांव में भगवान...