Vastu: नई दिल्ली। जब कोई व्यक्ति नई कार, बाइक, फ्रिज, या कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदता है, तो वह केवल एक वस्तु नहीं होती — वह एक उपलब्धि, एक सपना, और घर में आने वाली नई ऊर्जा का प्रतीक बन जाती है। ऐसे में इसे शुभ और सुरक्षित रखने के लिए लोग पूजा, स्वास्तिक, शुभ-लाभ जैसे धार्मिक प्रतीकों का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या गाड़ी पर भगवान का नाम लिखना उचित है? यह सवाल आज के समय में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
🚘 गाड़ी पर स्वास्तिक और “शुभ-लाभ” लिखना क्यों उचित है?
स्वास्तिक एक ऐसा प्राचीन वैदिक चिन्ह है जो मंगल, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। “शुभ-लाभ” का सीधा अर्थ है – “शुभ कार्यों से प्राप्त होने वाला लाभ।” जब हम नई गाड़ी या वस्तु पर ये चिन्ह बनाते हैं, तो यह मन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभकामना का संचार करता है।
👉 यह न केवल धार्मिक आस्था है, बल्कि एक सांस्कृतिक परंपरा भी है, जिसे सभी वर्गों में अपनाया जाता है।
🚫 गाड़ी पर भगवान का नाम लिखना क्यों टालना चाहिए?
हालांकि भगवान की तस्वीर वाहन में लगाना आम है, लेकिन भगवान का नाम (जैसे राम, शिव, कृष्ण, राधा आदि) लिखना शास्त्रों और संतों के मतानुसार अनुचित माना गया है।
🔴 कारण:
- सड़क पर चलती गाड़ी धूल, कीचड़, पानी और गंदगी के संपर्क में आती है।
- कभी-कभी लोग गाड़ी पर पैर रख देते हैं या गाड़ी के पीछे नाम होने पर टायरों के नीचे आ सकता है।
- ऐसे में भगवान के नाम का अनजाने में अपमान हो सकता है।
🙏 संत-महात्मा भी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि भगवान का नाम हमेशा सिर पर रखा जाए, पैरों के नीचे नहीं।
✅ क्या करें और क्या न करें – व्यवहारिक सलाह
✔️ क्या करें | ❌ क्या न करें |
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नई वस्तु की विधिवत पूजा करें | गाड़ी पर भगवान का नाम न लिखें |
स्वास्तिक और “शुभ-लाभ” चिन्ह लगाएं | गाड़ी को गंदा या उपेक्षित न छोड़ें |
भगवान की मूर्ति या तस्वीर वाहन के अंदर लगाएं | तस्वीर को धूल या सूरज की रोशनी में फीका न होने दें |
गाड़ी को साफ-सुथरा रखें | धार्मिक प्रतीकों के साथ लापरवाही न करें साभार… |
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