Vastu Tips: शादी-ब्याह केवल रस्मों और रिवाजों का नाम नहीं, बल्कि हर छोटे-बड़े निर्णय में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का महत्व होता है। हम शुभ मुहूर्त, कुंडली मिलान से लेकर मांगलिक कार्यों में विशेष मंत्रों का उपयोग करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी का कार्ड भी वास्तु और धार्मिक दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण होता है?
यहाँ जानिए शादी के कार्ड से जुड़ी 5 जरूरी बातें:
कार्ड पर छपवाएं ये शुभ चिन्ह
- भगवान गणेश जी की फोटो या चित्र अवश्य छपवाएं – वे विघ्नहर्ता हैं।
- साथ ही स्वास्तिक, कलश, नारियल जैसे पवित्र प्रतीकों का भी समावेश करें।
- चाहें तो राधा-कृष्ण की झलक भी कार्ड में सम्मिलित की जा सकती है।
कार्ड का आकार कैसा हो?
- शादी का कार्ड हमेशा चौकोर (Square) आकार में बनवाएं।
- आयताकार, गोलाकार या अंडाकार कार्ड शुभ नहीं माने जाते। वास्तु शास्त्र के अनुसार ये रिश्तों में अस्थिरता ला सकते हैं।
रंगों का रखें विशेष ध्यान
शुभ रंग:
- लाल
- पीला
- केसरी
- सफेद
इनसे बचें:
- काला रंग – यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है।
शुभ मंत्र जरूर लिखवाएं
कार्ड पर निम्नलिखित गणेश मंत्र अवश्य छपवाएं:
“मंगलं भगवान विष्णु: मंगलं गरुड़ध्वज:।
मंगलं पुंडरीकाक्ष: मंगलाय तनो हरि॥”
यह मंत्र शादी में आने वाली अड़चनों को दूर करता है और सुखद वैवाहिक जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।
बचे हुए कार्ड का क्या करें?
- शादी के बाद अक्सर कुछ कार्ड बच जाते हैं।
- इन्हें कभी भी फाड़कर या कूड़े में न फेंकें।
- इन्हें किसी पवित्र स्थान (जैसे मंदिर या तुलसी के पास) respectfully रखें, या गायत्री यज्ञ आदि में आहुति स्वरूप उपयोग करें।
शादी जीवनभर का बंधन है, और इसकी शुरुआत जितनी शुभ हो, आगे का जीवन उतना ही सुखद होता है। इसलिए शादी का कार्ड भी सिर्फ एक निमंत्रण पत्र नहीं, एक शुभ संदेश होता है – उसमें पूरी आस्था और शुद्धता होनी चाहिए।
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